I am suffering from pcod. Due to this i have irregular and heavy periods. Is there any solution for this?
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Read morePolycystic ovary disease (PCOD) is a condition that creates an imbalance in a woman's hormone levels. Here in these condition women produce higher levels of male hormones which might make the women skip the menstrual periods, which is why you would see irregular menstrual periods in women those suffering from this condition.
This condition is caused by insulin resistance, some genetical history or due to inflammation in the ovaries.
Symptoms like irregular periods, abnormal hair growth, acne, weight gain, male pattern of baldness, darkening of skin and headaches are common in this condition.
Lifestyle modification and diet along with Yoga therapy could play a vital role in the management of this condition.
A low glycemic index and low carb diet consumption have shown very good results. Some research studies have elicited this fact.
Yoga therapy if taken under a trained Yoga therapist could be beneficial as well.
नमस्ते,
महिलाओं को यह बीमारी प्रजनन हार्मोंस के संतुलन में गड़बड़ी व मेटाबॉलिज्म खराब होने पर होती है। हार्मोंस असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है। सामान्य स्थिति में हर माह पीरियड्स के बाद ओवरी (अंडाशय) में अंडाणुओं का निर्माण होता है और बाहर निकलते हैं। वहीं, पीसीओएस (PCOS) की स्थिति में ये अंडाणु न तो पूरी तरह से विकसित हो पाते हैं और न ही बाहर निकल पाते
पीसीओएस होने पर महिलाओं की पूरी शारीरिक प्रक्रिया ही गड़बड़ा जाती है। महिलाओं के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी कई थैलियां होती हैं, जिन्हें फॉलिकल्स या फिर सिस्ट कहा जाता है। इन्हीं में अंडे विकसित होते हैं और द्रव्य का निर्माण होता है। एक बार जब अंडा विकसित हो जाता है, तो फॉलिकल टूट जाता है और अंडा बाहर निकल जाता है। फिर अंडा फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ गर्भाशय तक जाता है। इसे सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया कहा जाता है। वहीं, जो महिला पीसीओएस से ग्रस्त होती है, उसमें प्रजनन प्रणाली अंडे को विकसित करने के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन ही नहीं कर पाती है। ऐसे में, फॉलिकल्स विकसित होने लगते हैं और द्रव्य बनना शुरू हो जाता है, लेकिन ओव्यूलेशन प्रक्रिया शुरू नहीं होती है। परिणामस्वरूप, कई फॉलिकल्स अंडाशय में ही रहते हैं और गांठ का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस नहीं बनते और इन हार्मोंस के बिना मासिक धर्म प्रक्रिया बाधित या फिर अनियमित हो जाती है।
- रात्रि में 7 से 8 घंटेे की नींद अवश्य लें इससे शरीर में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है, तनाव का स्तर कम होता है।
- रोज सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में रहे इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी की प्राप्ति होती है, शरीर की समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सुचारू रूप से अपना कार्य करती हैं।
- प्रतिदिन पालक ,आंवला, एलोवेरा ,नारियल पानी या लौकी केेेे जूस का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है।
- प्रतिदिन भोजन में 50% ताजे मौसमी फल 35% हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुत अंकुरित अनाज एवं 5% सूखे मेवे का प्रयोग करें शरीर को संपन्न पोषण प्राप्त होता है।
- प्यास लगने पर मिट्टी के घड़े में रखे हुए जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें, इससे शरीर के अंगों को पर्याप्त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है ।
- सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास रहें इससे शरीर में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, पाचन अंगों को आराम मिलता है।
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पवित्र तुलसी अपने एंटी-एंड्रोजेनिक गुणों के कारण पीसीओ के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। यह इंसुलिन के स्तर के संतुलन और वजन घटाने में मदद करती है। तुलसी एक उत्कृष्ट तनाव रिलीवर है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने वाले गुण भी लाभकारी होते हैं। दैनिक रूप से सुबह के समय 8 से 12 पवित्र तुलसी की पत्तियां लें।
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मेथी शरीर में ग्लूकोज चयापचय को बढ़ावा देती है और इंसुलिन को बढ़ने से रोकती है। इसके अलावा यह आपके हार्मोन संतुलन, कम कोलेस्ट्रॉल, वजन घटाने में सहायता और स्वस्थ दिल के कामकाज को बढ़ावा देने में भी मदद करती है। छह से आठ घंटे के लिए पानी में मेथी के बीज के तीन चम्मच भिगोएे। आप खाली पेट हर सुबह कुछ शहद के साथ भीगे हुए मेथी के बीज की एक चम्मच लें। इसके अलावा एक चम्मच दोपहर के भोजन से 10 मिनट पहले और एक चम्मच रात के खाने से पहले लें। दैनिक रूप से कुछ हफ्तों के लिए इस उपचार को जारी रखें या जब तक आपको सुधार ना दिखना शुरू हो जाएं। आप मेथी के बीज और पत्तियों को अपने नियमित आहार में भी शामिल कर सकते हैं।
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अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से मानसिक विकार दूर होते हैं और दिल व दिमाग शांत होता है।
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तितली आसन करने से तनाव दूर होता है और पीरियड्स नियमित समय पर आने लगते हैं।
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भुजंगासन करते समय पेट पर दबाव पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है और मासिक धर्म से जुड़े विकार दूर होते हैं।
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चक्रासन मासिक धर्म से जुड़ी हर प्रकार की जटिलताएं इस एकमात्र योगासन से ठीक हो जाती हैं ।
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भ्रामरी प्राणायाम करने से हर तरह का तनाव व मानसिक विकार जड़ से खत्म हो जाता है और आपका ध्यान केंद्रित हो जाता है।
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प्रतिदिन सुगंधित पुष्पों से युक्त बगीचे में प्रसन्न चित्त होकर टहलें, इससे मन शांत एवं तनाव मुक्त होता है ।
नोट-समस्त योग के अभ्यास अनुभवी योग एवं नेचुरोपैथी फेशियल के निर्देशन में ही करें ।
निषेध- जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ चीनी मैदा वसा से बनी हुई चीजें डिब्बाबंद मसालेदार भोज्य पदार्थ क्रोध ईर्ष्या चिंता तनाव रात्रि जागरण सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल टेलीविजन कंप्यूटर का इस्तेमाल।
Polycystic ovarian disease can be easily cured through naturopathy and yoga.
- Avoid any type of snacks.
- Have lot of fruits and raw vegetables.
- Apply wet pack on the abdomen daily in empty stomach.
- Mud application on the abdomen too daily in empty stomach would help.
- Cold hip bath daily in empty stomach also would help you.
- Most important thing is yoga. Practice daily yoga as this brings balance 8n hormones and soon you may notice the changes.
हेलो,
कारण - पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
महिलाओं के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी कई थैलियां होती हैं, जिन्हें फॉलिकल्स या फिर सिस्ट कहा जाता है। इन्हीं में अंडे विकसित होते हैं और द्रव्य का निर्माण होता है। एक बार जब अंडा विकसित हो जाता है, तो फॉलिकल टूट जाता है और अंडा बाहर निकल जाता है। फिर अंडा फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ गर्भाशय तक जाता है। इसे सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया कहा जाता है। वहीं, जो महिला पीसीओएस से ग्रस्त होती है, उसमें प्रजनन प्रणाली अंडे को विकसित करने के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन ही नहीं कर पाती है। ऐसे में, फॉलिकल्स विकसित होने लगते हैं और द्रव्य बनना शुरू हो जाता है, लेकिन ओव्यूलेशन प्रक्रिया शुरू नहीं होती है। परिणामस्वरूप, कई फॉलिकल्स अंडाशय में ही रहते हैं और गांठ का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोंस नहीं बनते और इन हार्मोंस के बिना मासिक धर्म प्रक्रिया बाधित या फिर अनियमित हो जाती है, जिस कारण गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
समाधान - गर्भाशय के खीरा और नीम के पत्तों का पेस्ट 20 मिनट के लिए रखें।
भुजंग आसन, सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन
पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।
जीवन शैली - 1. आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2. वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3. अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4. जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5. पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
6. एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
7. हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
Hi,
Yes, you could change your lifestyle to support your body. Following a whole plant-based diet would help. Apart from other lifestyle changes, let us understand the reason for this imbalance.
In mature females, every month the pituitary gland which is located at the base of the brain produces 2 female sex hormones. These hormones work in such a way to create a balance in the body which leads to either fertilization or if not fertilized leads to the monthly menstrual cycle. Estrogen and progesterone are hormones that regulate the menstrual cycle. If there is a hormonal imbalance in the body it leads to PCOS/PCOD. In this condition, a cyst or an abnormal growth in the uterus develops. This happens when over a period of time, the body is unable to eliminate the toxins from the body and they accumulate and form cysts. The cysts can dissolve when the right lifestyle choices are made. This includes maintaining right body weight, physical activity, and healthy lifestyle changes. Hormonal imbalance in the body occurs when the body is under constant high periods of stress. This releases the hormone cortisol which impacts the functioning of other hormones like estrogen and progesterone. Due to this constant high levels of stress, the brain gets the signal to store excess fat and slow the body's metabolism down. Therefore you tend to put on weight. Lifestyle changes would help solve all your health issues.
- This includes the removal of all animal products including dairy, removal of packed and processed, oily and sugary foods. This creates an overload of toxins and disturbs the balance of the body.
- Include lots of raw vegetables, fruits, nuts, and seeds. They all contain essential vitamins and minerals for the normal functioning of the body.
- Avoid excess of tea, coffee. This also triggers the production of cortisol.
- Exposure to sunshine and proper rest and sleep are also of prime importance. They release happy hormones, and in a relaxed state, the body can repair and heal.
- Manage stress either by some physical activity or deep breathing. This calms the body down. This helps the body to understand that there is no urgency and it can repair and heal.
- Adequate sleep. The body repairs and heals during sleep.
You could also read the journey section and get motivated as to how individuals have reversed their conditions by following mother nature.
https://www.wellcure.com/health-journeys/43/i-took-care-of-cysts-fibroids-naturally
Wishing you Good Health Always!
Thank you
Regards
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Dr. Khushbu Suthar
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Ruby
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