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गुड़हल(Hibiscus) जास्वंद या ज़वांफुल के नाम से जाने जाना वाला पौधा कइ गुणों से भरपूर होता है । यह हमारे स्वास्थ व सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है व कइ प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा में काम आता है। विशेष कर बालों की किसी भी तरह की समस्याएं व बिमारियों के लिए अमृत तुल्य है। यह पौधा किसी भी आंगन , गमले में लगाया जा सकता है व बगीचों में बहुतायत से पाए जाते है।
पांच पत्ति वाला लाल फूल विशेष गुणधर्म वाला होता है और यही चिकित्सा में उपयोगी होता है। गुड़हल के फूल कइ रंगों में व गुच्छे वाले भी पाये जाते हैं मगर पांच पत्ति वाला लाल फूल विशेष है। गुड़हल के फूल में पाये जाने वाले विशेष तत्व कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस तथा नियासिनिन,राइब्लोप्लोविन होता है वहां कुछ मात्रा में विटामिन सी भी पाया जाता है। इस पौधे के पत्तो में पाया जाने वाला कैरोटीन भी फायदा करता है।
गुड़हल की तासीर ठंडी होती है इससे कइ तरह की दवाएं बनती है यह हमारे स्वास्थ व सेहत के लिए अमृत की तरह काम कर बिमारियों व समस्याओं से निजात दिलाता है।
आज हम जानेंगे बालों के लिए कितना उपयोगी है गुड़हल I फूल व पत्तियां दोनों ही महत्वपूर्ण हैI
इसके उपयोग के साथ बाल :
1. घने, लम्बे, चमकदार हो जाते हैं।
2. झड़ते नहीं है, रेशमी व मुलायम हो जाते हैं।
3. रुसी,फंगल व इचिंग की समस्या नहीं होती है।
गुड़हल का उपचार करने का तरीका
1. गुड़हल के फूल 10 से 20, पत्तियां 10 से 20, 100 ग्राम शुद्ध नारियल का तेल में फूल व पत्तियां दोनों मिलाकर गरम करें जलें नहीं, ठंडा कर कांच की बाटल में भर लें रोज रात को सोते समय इस तेल से मालिश करें।
2. ताज़े फूल व पत्तियां दोनों 10-10 लें दोनों को मिलाकर पेस्ट बनाएं इसे सिर पर 20से 30 मिनट लगे रहने दें फिर गुनगुने पानी से धो लें।
3.गुड़हल का सुर्य तप्त तेल बनाएं: एक सफेद स्वच्छ कांच की बोतल ले उसमे 250 ग्राम शुद्ध नारियल का तेल लें, अब इसमें 50 फूल (flowers) व 50 पत्तियां मिलाकर अच्छे से हिलाएं । इस बाटल को लकड़ी के तख्ते या पटिये पर धुप में 45 दिनों (days) तक रोज रखें । इस बाटल को सुर्य उदय (Sunrise) से सुर्यास्त (Sunset) तक रोज रखें।
शित प्रकृति वाले इसका उपयोग किसी अनुभवी उपचारक की सलाह लेकर ही करें ।
(प्राकृतिकचिकित्सक:वृंदाखांडवे- SBPASS INDORE
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