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Q&A
04:22 PM | 28-08-2019

I have problem varicocele in testis have u any solution please


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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2 Answers

09:58 PM | 28-08-2019

Spider veins / varicose veins / varicocele - such similar issues such as the veins bulging inside the scrotum are majorly because of a high toxicity being carried in the blood. When the body has been fed with fats for all the three meals of the day, the blood eventually becomes toxic and viscous. Heart has to really work harder to pump that soup / jelly into the veins and arteries and suffers to pull it from lower extremities . That’s why people have it more in the legs and not in the hands. Typically such blood is usually dehydrated. Water component ( not H2O) tends to expand and make space when blood flows. But due to high amount of fat, lack of oxygen the toxins fill up the spaces. So however such slow work from the heart cannot continue to keep the person alive and body has been designed to be alive. So we have multiple such backup systems where the body finds a way to improve the blood rate to critical areas such as the brain. So the body tends to grow new cells/nerves to make up for the lack of speed. That’s when you see more and more mutations happening to make up for the situation. So it’s a temporary step the body takes and it must serve as a wake-up call to the person to start looking at a life that detoxifies their body and blood. This eventually stops further growth and might reduce existing ones over time. Atleast what will first happen is pain reduction over time 

Best is to first go off all forms of fats such as animal foods from dairy, meat, fish, egg,s wheat, maida and packaged foods 

 

Drink only lemon water cucumber juice , green juice made from greens lime ginger and veggies,veggie juices like ashgourd in the morning till 12

Have fruits for lunch and vegetables for the rest of the day and a millet based oilfree ( no oil in tadka ) dinner for the rest of your life if you want to see relief with this over time.

 

Sleep for a period that makes u feel rested 

Exercise as much as possible and as ur body heals exercise more 

Practice pranayama and meditating to improve the oxygen supply to ur cells 

 

Be blessed 

Smitha Hemadri (Educator of natural healing practices)



09:58 PM | 28-08-2019

नमस्ते

 

ऐसा तब होता है जब रक्त में पम्पिंग करने वाले वाल्व (valves) में खराबी आ जाती है और इस खराबी के कारण अंडकोष की कुछ नसों का आकार बढ़ जाता है या उनमें सूजन आ जाती है। शरीर में अम्लीयता (acid) अधिक होने से दाह (inflammation) उत्पन्न हो जाने से यह समस्या होती है। ख़राब हाज़मा और ग़लत आदतों के वजह से शरीर इस रूप में प्रतिक्रिया कर रहा है। शरीर को नहीं अपनी आदतों को जाँचे। जब तक प्राण सकती है तब तक शरीर के अंदर का कोई भी अंग जो की निष्क्रिय हो गया वो सक्रिय हो सकता है। 

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।

वज्रासन, धनुरासन, पदमासन, मतस्यासन करें।

3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।

नीम के पत्ते + खीरा का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।

दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। भूने हुए अलसी लें।काजू, बादाम अखरोट, मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ।

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा दोपहर के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती है। एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।

ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ का प्रयोग करें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद। 

एनिमा किट मँगा लें । यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 100ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में एक बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में उपस्थित विषाणु निष्कासित हो जाये।

धन्यवाद।

रूबी, 

 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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