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Q&A
02:48 PM | 25-09-2019

I have anal fissure how to get rid of it naturally? Is there any permanent cure for it?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

04:22 PM | 25-09-2019

हेलो हर्षी जी,

कारण - गुदा व गुदा नलिका की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। यह कब्ज की समस्या होती है। विशेष रूप से जब कठोर व बड़े आकार का मल गुदा के अंदर गुजरता है, तो वह गुदा व गुदा नलिका की परतों को नुकसान पहुचा देता है।

समाधान - ताड़ासन, कटीचक्र आसन, नटराजासन, वृक्षासन, हस्तपादासन, अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम हलासन,पवन-मुक्तासन करें।

सुबह ख़ाली पेट इनमे से कोई भी हरा जूस लें।पेठे (ashguard ) का जूस लें और  नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर 100ml पानी में मिला कर छान कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ।

जीवन शैली -पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें। दौड़ लगाएँ। सूर्य नमस्कार 5 बार करें।

अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें। 

सर पर सूती कपड़ा बाँध कर उसके ऊपर खीरा और मेहंदी या करी पत्ते का पेस्ट लगाएँ,नाभि पर खीरा का पेस्ट लगाएँ।पैरों को 20 मिनट के लिए सादे पानी से भरे किसी बाल्टी या टब में डूबो कर रखें।

पृथ्वी तत्व - कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। अगले सुबह ख़ाली पेट इनमे से कोई भी हरा जूस लें।पेठे (ashguard ) का जूस लें और  नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर 100ml पानी में मिला कर छान कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ।

ये जूस सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले लें। नाश्ते में फल लें। दोपहर के खाने से एक घंटा पहले हरा जूस लें। खाने में सलाद नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की पके हुए खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती।

सलाद दोपहर 1बजे बिना नमक के खाएँ तो अच्छा होगा क्योंकि नमक सलाद के गुणों को कम कर देता है। सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। रात 8 बजे के बाद कुछ ना खाएँ, 12 घंटे का (gap) अंतराल रखें। 8बजे रात से 8 बजे सुबह तक कुछ नहीं खाना है।

एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

धन्यवाद।

रूबी

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका  मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)



01:57 PM | 26-09-2019

नमस्ते ,

एनल फिशर अर्थात् गुदा द्वार के आसपास दरार पड़ जाना ।अधिकतर अम्लीय भोज्य पदार्थ जैसे- मांस ,मछली ,अंडे, तली भुनी चीजें ,चीनी व उससे बने हुए उत्पाद ,क्रोध, ईर्ष्या, चिंता ,तनाव की वजह से, कम मात्रा में पानी पीने की वजह से भोजन का सही से पाचन नहीं होता वह ठोस आकार ले लेता है जिससे उसके निष्कासन में समस्या आते हैं जिससे दबाव डालने पर खरोच आ जाते हैं !

  • प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी नींबू व सहद का सेवन करें इससे आपकी दीवारें फैलती हैं वह मल आसानी से बाहर निकल जाता है।
  • प्रतिदिन खीरा/ लौकी /टमाटर के जूस का सेवन करें-इससे अशुद्धियां बाहर निकलती है।
  •  भोजन 80% मौसमी फल व हरी पत्तेदार कच्ची सब्जियों का प्रयोग भोजन में करें इससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। 
  • प्रतिदिन भोजन से 30 मिनट पहले जल का सेवन बैठकर धीरे-धीरे करें इससे पर्याप्त मात्रा में पाचक रसों का स्राव होता है जिससे भोजन का आसानी से पाचन होता है ।
  • प्रतिदिन 1:00 से 3:00 के बीच पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करें इस समय जीवनी शक्ति छोटी आंत में होती है व भोजन का अवशोषण व मल को बड़ी आंत की तरह जाने का समय होता है।
  • आसन- पवनमुक्तासन ,भुजंगासन, मंडूकासन, मत्स्यासन ,हलासन, सर्वांगासन ;पेट व पीठ की मांसपेशियों को सक्रिय करते हैं !
  • ठहाके के साथ हंसे इससे पेट व आंत की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं।

निषेध -समस्त प्रकार के जानवरों से प्राप्त होने वाले भोज्य पदार्थ, चीनी व चीनी से बनी हुई वस्तुएं , मैदे से बनी हुई वस्तुएं, रात्रि जागरण ,सोने से 2 घंटे पहले टेलीविजन, मोबाइल ,कंप्यूटर का प्रयोग।



01:56 PM | 26-09-2019

Anal fissure also known as the anal ulcer is a cut or tear in the lining of the anus which usually occurs due to constipation or diarrhoea. It can cause pain and bleeding but naturally gets healed by itself within few weeks time. 

The best way to treat anal ulcers or fissures is to take care if your diet and lifestyle habits. Constipation being one of the major cause can lead to cuts when a hard stool passes through the anus.

 

• Dehydration is one of the commonest cause for constipation, enrich yourself with plenty of fluids to keep yourself hydrated. 

• Go for whole plant base diet, whole grains, oats, cereals, and brown rice etc rather then other types of food. They are five rich in nature which will help in treating constipation 

• Consume more fruits and vegetables as they rich in dietary fibres. Fruits like Apple, pineapple, banana, berries, and passion fruits are fibre rich. Include vegetables like beans, sprouts, Brussels sprout, broccoli, lentils, legumes , drumsticks and spinach are highly recommended dietary fibres.

• Nuts and seeds such as sunflower seeds, pumpkin seeds, almonds, pistachios, chia seeds and flaxseed are also rich in fibres. 

• Defecating in time will help avoid constipation in a long run.

• Avoid oily, spicy, sugary foods, maida products, smoking and alcohol.

• Hip bath for 10- 15 minutes will help ease the pain by improving blood circulation and relaxing the anal sphincter.


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