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Q&A
01:50 PM | 27-09-2019

Is there any natural cure for erupted wisdom teeth??


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

03:51 PM | 27-09-2019

Onion and cloves will be helping you a long way for this.

You can choose any as you have to place it in mouth and both have a strong taste. They both will help you in comforting the pain. Place anyone on the tooth for 10-15 minutes do it every two hourly.

Thank you.



03:51 PM | 27-09-2019

नमस्ते ,
अक्ल दाढ़ के दांत लगभग 23- 24 वर्ष की उम्र में आते हैं बहुत कष्ट कारक होते हैं ,दांत में दर्द, मसूड़ों में सुजन होती है ।
 

  • एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक डालकर गरारा करें, दर्द में आराम मिलेगा ।
  • हल्के, सुपाच्य, मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
  •  लौंग के तेल को रूई में भीगा कर  दर्द वाले दांत पर रखें दिन भर में 3 बार ऐसा करें, इसमें anti inflammatory , एंटीबायोटिक गुण होते हैं दर्द व सूजन में आराम मिलता है।
  • अमरूद के पत्तों को चबाएं मसूड़ों में दर्द, सूजन में आराम मिलेगा।
  • एक गिलास गर्म पानी में दो-तीन अमरूद के पत्तों को उबालें, उससे कुल्ला करें, दर्द व सूजन में आराम मिलेगा।


03:50 PM | 27-09-2019

हेलो प्रियंका जी,

कारण -  25 साल की उम्र के बीच आपके पीछे के दांत निकलने लगते हैं और इसी दौरान संक्रमित भी हो सकते हैं जिसके कारण आपकी अकल दाढ़ में अत्यधिक दर्द और तकलीफ होती है। यह मुख्य रूप से मुंह में उनकी स्थिति के कारण होता है।

शरीर में अम्ल की अधिकता हो तो अक़्ल के दाँतों के आने में तकलीफ़ अधिक होती है।

समाधान - दूर्वा ग्रास का जूस मुँह में रख रख कर पीएँ। 70% आहार कच्चा लें लौंग और अमरूद के पत्ते को सुखा कर पीस लें। अपनी ऊँगली के मदद से इस पाउडर से दाँतों की सफ़ाई करें। चेहरे पर खीरा और नीम के पत्तों का पेस्ट लगा कर 20मिनट के लिए रखें। मुँह में हवा भर कर दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएँ घुमाएँ। फिटक़री आधा चम्मच  पानी में मिला कर गुनगुना कर लें। इस गुनगुने पानी से 3 से 4 बार क़ूल्ला करें।

जीवन शैली - पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I

दौड़ लगाएँ। सूर्य नमस्कार 5 बार करें।

3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।

पेट पर खीरा का पेस्ट 20 मिनट लगाएँ। फिर साफ़ कर लें। पैरों को 20 मिनट के लिए सादे पानी से भरे किसी बाल्टी या टब में डूबो कर रखें।

5. पृथ्वी तत्व- कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है।  सुबह ख़ाली पेट इनमे से कोई भी हरा जूस लें।पेठे (ashguard ) का जूस लें और  नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर 100ml पानी में मिला कर छान कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ।

ये जूस सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले लें। नाश्ते में फल लें। दोपहर के खाने से एक घंटा पहले हरा जूस लें। खाने में सलाद नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की पके हुए खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती।

सलाद दोपहर 1बजे बिना नमक के खाएँ तो अच्छा होगा क्योंकि नमक सलाद के गुणों को कम कर देता है। सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। रात 8 बजे के बाद कुछ ना खाएँ, 12 घंटे का (gap) अंतराल रखें। 8बजे रात से 8 बजे सुबह तक कुछ नहीं खाना है।

एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

धन्यवाद।

रूबी

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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