My son 7 year old, he is having shortness of breathing. We are living in Germany. Doctor said there is nothing serious. But problem not cured. What to do?
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreShortness of breath can be due to extreme cold weather which we can assume with your country mentioned. Try to give him more vitamin C rich food like sprouts, cabbage, oranges etc it helps in building up immunity.
Make him do exercises like blowing a balloon and deep breathing it helps in building lung capacity.
Thank you.
Hi Priti. Does he take dairy products? If yes try to discontinue & see if it helps. Dairy is commonly linked to respiratory issues. Stress is another common trigger.
You could also read a few natural healing stories of respiratory issues in the Journeys section. Shifting to a natural lifestyle always helps in resolving such issues & especially for kids who have a lot of vitality. You could explore Wellcure's Buddy Program to help you in shifting your child to a natural lifestyle.
हेलो,
कारण - पाचन क्रिया का स्वस्थ ना होने से आँत में प्रदाह (inflammation) होता और वह फेफड़ों में संक्रमण पैदा करता है। शरीर में मौजूद मिनरल दूषित होकर कफ में परिवर्तित होते जाते हैं और ऑक्सिजन की मात्रा में आती है।
समाधान - अनुलोम विलोम, आंतरिक कुंभक और बाह्य कुंभक करें। सर्वांगआसन और सूर्य नमस्कार 5 बार करें। दुध या दुध से बना कोई चीज़ ना लें। नीम के पत्ते का और खीरा पेस्ट अपने पेट पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।
शरीर को यह ज्ञान है कि ख़ुद को स्वस्थ कैसे रखना है। हम इस बात से अनभिज्ञ हैं। जब हमारी प्राणशक्ति हमें ऊर्जा दे रही होती है तो वह स्वास्थ्य की स्थिति है। जब हमारी प्राण शक्ति हमारे शरीर के अंदर विषाणुओं (toxic) को साफ़ करने में लग जाती है तो वह अस्वस्थ होने की स्थिति होती है।
प्राण शक्ति ने सिर्फ़ अपना काम बदल लिया क्योंकि हमने अपनी ग़लत आदतों के वजह से उसे ऐसा करने पर मजबूर किया है। अब उसको सही खुराक से मदद करें और उसपर विश्वास बनाए रखें। किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I
खुली हवा में बैठें या टहलें।
3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।
मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। इसी प्रकार हरा गोभी, बंद गोभी, गाजर, चुकन्दर भी कद्दूकस करके डालें। हर दिन मुख्य सब्ज़ी किसी एक की मात्रा अधिक बाँकि सब थोड़ा थोड़ा डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा दोपहर के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid) की कमी हो जाती है। रात का खाना 8 बजे खाएँ।एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।
ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।
जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ का सेवन करें।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें और 2 घंटे बाद सलाद लें।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
नमस्ते,
अनियमित दिनचर्या, खानपान की गड़बड़ी की वजह से, प्रदूषित वातावरण में रहने से बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण हो जाता है, कभी-कभी रक्त की कमी, एलर्जी की वजह से भी सांस फूलने की समस्याएं आती है।
- प्रतिदिन सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में रहे इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी की पूर्ति होती है, शरीर ऊर्जावान बना रहता है ,शरीर की समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सक्रिय होती हैं व अपना कार्य सुचारू रूप से करती है।
- प्रतिदिन प्रातः चुकंदर ,शलजम या अनार के जूस का सेवन करें ।
- प्रतिदिन भोजन में 80% मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों को खूब चबा चबाकर खाएं,शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है ,रक्त में अम्ल व क्षार का संतुलन बना रहता है ।
- जल का सेवन -प्रतिदिन मिट्टी या तांबे के बर्तन में रखें जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें।
- एक कटोरी में सरसों का तेल चार कली लहसुन अजवाइन,मिलाकर गर्म कर लें, उतार कर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाकर सीने व पीठ पर मालिश करें।
- एक बर्तन में तुलसी के कुछ पत्ते डालकर पानी खौला ले उससे उठने वाले भाप को चेहरे पर लें।
- प्रसन्न चित्त रहें ,खुलकर हंसे।
निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ ,डिब्बाबंद -मसालेदार चीजें, चीनी व मैदे से बने हुए भोज पदार्थ, चिंता, तनाव ,आसपास सिगरेट के धूंए इत्यादि, रात्रि जागरण मोबाइल टेलीविजन कंप्यूटर का सोने से पहले प्रयोग।
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