Tingling on my legs why this happens? What can be causes of it? Is it due to less haemoglobin?
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Read moreHi There,
The tingling sensation is caused mostly due to nerve damage in legs or poor blood circulation to legs although there can be some other underlying medical conditions such as vitamin deficiency, kidney diseases, Diabetes etc..;which can be diagnosed with proper examination.
• Massage your legs and feet for 10-15 minutes using herbal oil so as to improve the blood circulation to your legs and feet.
• Make a turmeric paste and apply it topically over the feet and leave it for 15 minutes. Wash it with cold water.
• Soak your legs in cold water for 10-15 minutes before sleeping.
• Wear comfortable shoes. Make sure that the shoes are fitted perfectly.
• Try walking barefoot on the grass early in the morning.
• Keep your feet elevated while resting.
• Any physical activities or exercise such as running, walking or jogging is highly recommended as it will help reduce your weight and improve blood circulation to legs.
• Consume more fresh seasonal fruits and vegetables especially anti-inflammatory diet such as berries, garlic, ginger, onions, almonds and walnuts etc.
• Beans, peanuts, peas, green leafy vegetables can strengthen your nerves and improve blood circulation due to their richness in vitamin B and other essential nutrients.
• Avoid fatty foods, gluten-rich foods, caffeinated drinks and processed foods.
• Minimise or reduce your salt intake.
• Avoid smoking and alcohol.
नमस्ते ,
पैरों में झुनझुनी नसों पर दबाव होने ,कसे कपड़े पहनने, कसे हुए जूते पहनने ,शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी, चोट लगने , गलत तरीके से बैठने की वजह से हो सकते हैं।
- नींद रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें, इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं कोशिकाओं का निर्माण होता है ।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी, नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे शरीर से अशुद्धियां बाहर निकलती है ।
- प्रतिदिन सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में व्यतीत करें इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी की पूर्ति होती है, हड्डियां मजबूत होती है, रक्त संचार बढ़ता है।
- प्रतिदिन प्रातः एलोवेरा, टमाटर ,लौकी के जूस का सेवन करें।
- भोजन में अधिकतर मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें ,इससे शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बना रहता है, शरीर के सभी अंगो रूप से अपना कार्य करते हैं।
- प्रतिदिन मिट्टी के घड़े में रखे जल को बैठकर जब भी प्यास लगे धीरे-धीरे सेवन करें इससे शरीर को आवश्यक जल की आपूर्ति होती है।
- योगिक सुक्ष्म व्यायाम- पैर के पंजे को ऊपर- नीचे, दाएं- बाएं, दक्षिणावर्त एवं वामावर्त दिशा में घुमाएं, पैरों को मोड़े -फैलाए( प्रत्येक 10 चक्र) पैर की मांसपेशियों, स्नायु में लचीलापन बना रहता है, रक्त संचार सुचारू रूप से होता है ।
निषेध जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, चीनी व मैदे की चीजें ,अचार ,मसाले ,डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ , चिंता ,तनाव ,रात्रि जागरण सोने से 2 पहले मोबाइल, टेलीविजन, कंप्यूटर का प्रयोग।
हेलो,
कारण - तंत्रिका प्रणाली में दोष उत्पन्न होने के कारण ऐसा हो सकता है। अपने मेरुदंड (spine) को सीधा नहीं रखने पर ग़लत आसन में बैठने उठने से रक्त संचार में अवरोध के कारण भी हो सकता है।
समाधान - आसन ठीक रखें उठते बैठते हुए सीधा रखें अपने मेरुदंड को और सर्वांग आसन, भुजंग आसन करें। सूर्यनमस्कार 5 बार करें। आहार में परिवर्तन आयु के हिसाब से करना चाहिए। 9 साल के बाद दुध या दुध से बना सामान नहीं पचता है। 20 साल के बाद प्रोटीन के बाहरी स्रोतों से परहेज़ ज़रूरी है। 30 साल के बाद अनाज, तेल घी से परहेज़ ज़रूरी है और चीनी की ज़रूरत कभी नहीं है। उसके जगह गुड़ या सुखा फल लें। खाने में सेंधा नमक का प्रयोग करें और मात्रा कम लें। आप प्रोटीन युक्त भोजन से परहेज़ करें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
इस बीमारी का मूल कारण हाज़मा और क़ब्ज़ है।
जीवन शैली - शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें। भ्रामरी प्राणायाम करें। पवनमुक्तआसन करें।
3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करें। खीरा + नीम के पत्ते का पेस्ट झुनझुनी वाले हिस्से पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। सुर्य की रोशनी उसी जगह पर लगाएँ। मेरुदंड की दिन में दो बार तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा dopahar के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid) की कमी हो जाती है। एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।
ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।
जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद।
धन्यवाद।
रूबी, Ruby
प्राकृतिक जीवनशैली शिक्षिका (Nature Cure Educator)
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