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Q&A
07:58 PM | 06-10-2019

Mujhe back k upri hisse me dard h aur wo dard chest k beech k haddi me bhi ho ra h. Upaay btae. Ye kya takleef hai?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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4 Answers

05:56 PM | 07-10-2019

नमस्ते,

भोजन में अधिकतर अम्लीय पदार्थ जैसे -चाय, चावल ,चीनी , अचार, मिठाइयां, नमक -नमकीन मांस मैदे से बने भोज्य पदार्थ, अनियमित दिनचर्या, गलत तरीके से बैठने की वजह से भोजन का पाचन अवशोषण व उनका निष्कासन सही तरीके से नहीं हो पाता, जिससे दूषित होकर वहीं पर सड़ने लगते हैं  जिससे रक्त अम्लीय हो जाता है जिससे कई तरीके की समस्याएं दर्द, गैस प्रारंभ हो जाते हैं ।
 

  • नींद- रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें, इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, शरीर को आराम मिलता है।
  •  प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे शरीर से दूषित पदार्थ निकलते हैं ।
  • प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में व्यतीत करें इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी की प्राप्ति होती है, रक्त संचार बढ़ता है ,हड्डियां मजबूत होती है।

 

  • जूस-खीरा, लौकी ,नारियल पानी या अनन्नास के जूस का सेवन करें।

 

  • भोजन -हल्के, सुपाच्य 80% मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों को खूब चबा चबाकर सेवन करेंं ,इससे भोजन पाचन आसानी से होता है , शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बना रहता है।
  • मिट्टी घड़े के घड़े  में रखे जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है, शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं ।

 

  • उपवास- सप्ताह में 1 दिन रहे इससे शरीर के रंगों से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं उनकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है ।
  • जब भी कहीं बैठे रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • प्रतिदिन खाली पेट एक लहसुन की एक कली निगल लिया करें इसमें anti inflammatory , antibiotic गुण होता है ,जिससे दर्द में आराम मिलेगा।

निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, चीनी और मैदे से बनी हुई चीजें , मसालेदार भोज्य पदार्थ ,क्रोध ,ईर्ष्या ,चिंता ,तनाव ,रात्रि जागरण ,सोने से 2 घंटे पढ़ने मोबाइल ,टेलीविजन ,कंप्यूटर का प्रयोग ,पीठ के बल सोना,देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहना, झुककर वजन समान उठाना।

 



10:52 AM | 07-10-2019

Please read the journey of Shri Lalitha https://www.wellcure.com/health-journeys/60/my-freedom-from-back-pain-respiratory-issues who I have seen suffer from severe back pain and over time with a disciplined holistic diet and yoga changed her ached back to a pain-free back.

Please follow a wholefood plant-based diet. With animal products in your meals, acidity in the body increases and the body will suck all the alkaline enzymes to maintain homeostasis.  

If high acidic foods ( not coming under category of fruits veg veggies greens majorly) are injested, their ph is less than normal, the stomach does not need to make it acidic to process. The pancreas won’t produce the alkaline buffers to the blood to neutralise the acidity raised by the stomach. So this acidic food in its state reaches the next few levels like the duodenum which are not geared for this ph level and bile from liver and gallbladder is called to rescue this balance. As this bile continues to be overproduced, liver becomes tired. If liver and gallbladder are not in a good working condition, enough Bile is not made available in the duodenum, and this is how acidic food reaches the intestines. . As liver weakens, the body cleaning  is also compromised and blood continues to carry acidic  toxins that have the liver could not manage and have reached the intestines where nutrients get absorbed. I went to acidity in the blood goes up, the blood first uses of the alkaline buffers present in its blood plasma to bring the blood closer to an alkaline pH. Unfortunately because of continuous supply of acidic foods to the body, the level of alkaline buffers is often very low. If the blood pH value falls below this range, then all the bodily fluids such as urine, lymphatic fluid, semen, Cerebrospinal fluids, saliva everything starts becoming acidic. This disrupts all the cellular function in the body and disturbs the balance. To prevent such a state of decline, the blood starts reducing its acidity by neutralising it with one of the most alkaline substance in the body that is calcium from the bones. So blood starts dissolving the calcium from the bones in its self to reach an ideal pH level. This is also called leaching  of calcium. Blood is a supplier and also a retriever . It will choose parts of the bone where it can leach  very quickly such as the ends of the bones . As it continues to do so, that part of the joint weakens that’s producing a pain and inflammation. There will also be severe obstruction of blood flow, the viscosity of blood will be thicker. All these factors lead to the accumulation of toxins across the body.

 

Start juicing in the morning till 12 PM. Start your day with half a litre of cucumber juice 

followed by fruits for next hunger. Do not have any cooked breakfast. 

In the afternoon have vegetable Salads with greens. 

Only for dinner add to wholefood plant-based cooked dinner with 30% millets and 70% vegetables cooked without any oil ( very important). 

Add yoga pranayama as much as possible and improve as health gets better. 

Remove dairy eggs meat fish absolutely from ur life on all forms. Remove sugar , fried foods , ready to eat foods from packets etc. 

Exposure to sunlight for 40 mins

 

Thanks 

Be blessed 

Smitha Hemadri

(Educator of natural healing practices)



09:42 AM | 07-10-2019

कारण - शरीर में अम्ल की अधिकता के कारण हो रहा है। दर्द का कारण अम्ल के अधिकता से प्रदाह

(Inflammation) है। 

समाधान - प्राकृतिक जीवन शैली को अपनाने से हाज़मा और क़ब्ज़ की समस्या ठीक होगा। ऐसा होने से दर्द से छुटकारा मिल जाएगा। 

दर्द वाले जगह पर धनिया + खीरा का पेस्ट लगाएँ 20 मिनट के लिए। दिन में दो बार तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में

और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

आइए प्राकृतिक जीवन शैली में हम 5 प्रकार के आहार से अवगत हों।टे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।

दर्द वाले भाग पर गीली मिट्टी लगाएँ या खीरा + धनिया + तिल पीस कर पेस्ट बना लें। लगाएँ 20 मिनट के लिए और फिर साफ़ कर लें। इससे दर्द में तुरन्त आराम मिलेगा।

 फल, कच्चे सब्ज़ी के जूस और कच्चे सब्ज़ी का सलाद लें। आहार में परिवर्तन आयु के हिसाब से करना चाहिए। 9 साल के बाद दुध या दुध से बना सामान नहीं पचता है। 20 साल के बाद प्रोटीन के बाहरी स्रोतों से परहेज़ ज़रूरी है। 30 साल के बाद अनाज, तेल घी से परहेज़ ज़रूरी है।

जीवन शैली - शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।

आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह लें।

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।

खुली हवा में बैठें या टहलें।

3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करें। खीरा + नीम के पत्ते का पेस्ट दर्द वाले हिस्से पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। सुर्य की रोशनी उसी जगह पर लगाएँ।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।

दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ।

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा dopahar के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती है। एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।

ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद। 

धन्यवाद।

रूबी, Ruby

प्राकृतिक जीवनशैली शिक्षिका (Nature Cure Educator)



10:53 AM | 07-10-2019

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