How to remove NASAL POLYPS inside the nose? I have asthma too. Doctor said that the polyps occured due to the bacteria inside the nose and also because of the asthma. Someone help me.. Please.
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- Nasal polys occurs due to allergies, inflammation or any other infection.
- As your doctor told it's bacterial infection due to asthma.
- Nowadays pollution also causes allergic reaction and leads to nasal polyps.
- Primarily you should avoid pollution.
- Wear mask when your going out.
- Take steam Inhalation regularly, it helps to reduce the nasal Irritation and blockages and reduces the symptoms and polyps.
- Practice jalaneti under expert guidance. After getting some. Relief you can go for Sutra neti (under expert guidance) will helps to get relieved from nasal polyps.
- Adding turmeric and black peer in you diet will help to Reduce the inflammation and nasal polyps.
- Drinking herbal tea made up of ginger, Tulsi and few mint leaves helps to get relief from nasal blockages and allergies, which are main cause for nasal polyps.
- Drink more water (lukewarm).
- Avoid dairy products.
- Take more fruits and vegetables.
- Avoid mucus forming food items.
- Avoid oily, fried, preserved food items.
- Avoid tea coffee and aerated, carbonated beverages.
- Practice breathing exercises and pranayama regularly.
- Regular physical activities like walking, mild jogging also more beneficial.
Namasthe!
नमस्ते,
नाक में मांस का बढ़ना या नेजल पॉलिप एलर्जी ,बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण, गंदी -प्रदूषित जगहों पर रहने ,अधिकतर अम्लीय भोज्य पदार्थों के सेवन करने की वजह से हो जाते हैं।
- प्रतिदिन गुनगुने पानीं, नींबू व शहद का सेवन करें, इससे शरीर सेेे दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
- जूस- एलोवेरा ,लोकी ,अनन्नास या खीरा के जूस का सेवन करें।
- भोजन -हल्के सुपाच्य मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों से युक्त भोजन को खूब चबा चबाकर सेवन करें, इससे भोजन का पाचन आसानी से होता है ,शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बना रहता है जिससे शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं ।
- उपवास -(सप्ताह में 1 दिन) प्रारम्भ में तीन से चार दिन तक मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों केेेे जूस पर रहे।
- जल नेति एवं सूत्र नेति का अभ्यास अनुभवी योग एवं नेचुरोपैथी फिजीशियन के निर्देशन में करें।
- सुगंधित पुष्पों से युक्त बगीचे में निश्चिंत होकर नंगे पाव टहलें।
निषेध- जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, वसायुक्त चीजें, क्रोध ,ईर्ष्या ,चिंता, तनाव ,रात्रि जागरण।
Nasal polyps are again extra growth that happen when the body is consistently pushed to “suppress” cold cough and other eliminations from the respiratory organs. So the consistent accumulation of all the mucus and other toxic substances that could not be released, leads to small ulcers and hardening and mutation. Why are the polyps the body is storing those toxins in those extra growth and trying to collect it. To heal from it no form of medication will help. No surgery will help in the long run. Since the body still holds the condition to create the polyps, it will continue to keep growing them unless drastic lifestyle changes are adopted. The bad smells are because of the past accumulation inside your nasal cavity. You may not be able to release the pus Or get rid of the smell until the polyps naturally heal. No amount of nasal sprays are going to help. Any form of medication to make any small discomfort go away it will only make the problem worse.
For any form of respiratory issues which I myself was suffering from, to be healed quitting animal products such as dairy eggs meat fish is key to taking the first step in the right direction. Next comes all the processed, junk, sugar, oily foods, maida, ready to eat packaged foods also contributes to the deterioration of the body’s health condition.
Practice yoga and Pranayam, learn jal nethi.
Focus on eating fruits vegetables and leafy greens all through your day in various forms until dinner. For dinner you can have a gluten free oil free millet-based dinner with 30% millets and 70% vegetables.
Expose yourself to sunlight for 30 minutes per day.
My journey of Healing from respiratory issues is below
Let us know if you have any further questions
Be blessed
Smitha Hemadri (educator of natural healing practices)
हेलो,
कारण - नाक के अंदर का मांस बढ़ने लगता है। इसकी जड़ में दमा के कारण रहने वाली सूजन, बार-बार संक्रमण होना, एलर्जी, दवाओं व नशीले पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता और कुछ प्रकार की प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े विकार आदि शामिल हैं।
समाधान - पाचन क्रिया का स्वस्थ ना होने से आँत में प्रदाह (inflammation) होता और वह फेफड़ों में संक्रमण पैदा करता है। शरीर में मौजूद मिनरल दूषित होकर कफ में परिवर्तित होते जाते हैं और ऑक्सिजन की मात्रा में आती है।
समाधान - अनुलोम विलोम, आंतरिक कुंभक और बाह्य कुंभक करें। सर्वांगआसन और सूर्य नमस्कार 5 बार करें। दुध या दुध से बना कोई चीज़ ना लें। नीम के पत्ते का और खीरा पेस्ट अपने पेट पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।
शरीर को यह ज्ञान है कि ख़ुद को स्वस्थ कैसे रखना है। हम इस बात से अनभिज्ञ हैं। जब हमारी प्राणशक्ति हमें ऊर्जा दे रही होती है तो वह स्वास्थ्य की स्थिति है। जब हमारी प्राण शक्ति हमारे शरीर के अंदर विषाणुओं (toxic) को साफ़ करने में लग जाती है तो वह अस्वस्थ होने की स्थिति होती है।
प्राण शक्ति ने सिर्फ़ अपना काम बदल लिया क्योंकि हमने अपनी ग़लत आदतों के वजह से उसे ऐसा करने पर मजबूर किया है। अब उसको सही खुराक से मदद करें और उसपर विश्वास बनाए रखें। किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I
खुली हवा में बैठें या टहलें।
3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।
मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। इसी प्रकार हरा गोभी, बंद गोभी, गाजर, चुकन्दर भी कद्दूकस करके डालें। हर दिन मुख्य सब्ज़ी किसी एक की मात्रा अधिक बाँकि सब थोड़ा थोड़ा डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा दोपहर के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid) की कमी हो जाती है। रात का खाना 8 बजे खाएँ।एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।
ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।
जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ का सेवन करें।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें और 2 घंटे बाद सलाद लें।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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ganesh deva
03:29 PM | 11-05-2020
Thankyou sir
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