Is writer's cramp disease is curable by any exercise or natural therapy? I am a patient. Is anything I can do?
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreनमस्ते जी,
रायटर्स क्रैम्प्स अधिकतर लेखक, नाई या हाथ का अधिक प्रयोग करने वाले लोगों को होता है, यह निर्जलीकरण, अधिक तापमान में व्यायाम करने, शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की कमी ,गठिया इत्यादि अवस्थाओं में देखने को मिलता है, इसमें शरीर की मांसपेशियों में सिकुड़न हो जाती है एवं रक्त संचार कम हो जाता है।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी, नीबू एवं शहद का सेवन करें इससे आंतों में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं !
- जूस- प्रतिदिन खीरा या एलोवेरा के जूस का सेवन करें ।
- भोजन- मौसमी फल एवं हरी पत्तेदार सब्जियों से युक्त भोजन को खूब चबाकर सेवन करें, इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण प्राप्त होता है, शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं ।
- प्रतिदिन मिट्टी के घड़े में रखे हुए जल को प्यास लगने पर बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें, इससे शरीर को आवश्यक मात्रा में जल की आपूर्ति होती है शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं।
- बालू, सेंधा नमक एवं सरसों सूती कपड़े में लेकर पोटली बना लें तवे पर सरसों का तेल गर्म करें, गरमा गरम पोटली से प्रभावित जगह की 5 से 15 मिनट तक सिकाई करें।
- हाथ का व्यायाम -मुट्ठी को बंद करें- खोलें, मुट्ठी बांधकर दक्षिणावर्त एवं वामावर्त दिशा में घूमाएं, हाथ को मोड़े एवं फैलाएं (प्रत्येक 10 बार )हाथ की मांसपेशियों में मजबूती लाता है ,रक्त संचार बढ़ता है।
निषेध- जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, हाथ का अधिक प्रयोग, चीनी, मैदे से बनी हुई चीजें ,ठंडे पेय पदार्थ, क्रोध, ईर्ष्या, चिंता, तनाव।
Dear health seeker Nirj, there is no disease which can not be set right, pipped to the post, radically cured by Divine nature cure, in fact, there is no disease only lower level of health which can be radically taken care of by living hygienically, obeying the eternal laws of health governing our organism. Writer's cramp can be overcome easily. There is a cause behind every disease symptoms for that you have to follow as under:-
The corrective course of action would be:...
- Cut down all enervating, revitalising foodstuffs and unhygienic habits conserving vitality so very necessary and important. Eschew fried, spicy, processed, refined, animal products, milk products, tea and coffee, alcohol, tobacco, moderation in sexual Congress etc in order to economise Vitality so very necessary to put you on a healthy way.
- Intake of alkaline foods comprising of vegetables raw and cooked and fruits to the extent of 80%rest 20% carbohydrates, nuts, seeds and beans
- A leisurely morning walk
- If possible non-violent pranayama
- Early morning sun-basking for 30 min followed by cold water bath
- A very important procedure to tone up the whole nervous system of Spinal bath (lying down in a bathtub having 1.5 inches of pitcher cold water with head and legs out of water for 20 minutes) if tub is not available then a makeshift arrangement of lying down in water dripped Turkish towel
With the above treatment, all your patent or latent diseases symptoms will be addressed in the shortest possible time
Please don't go to any drugs, dope dispensers, since every drug is vitality sapping a drag on vitality
V.S.Pawar MIINT
हेलो,
कारण - मरोड़ या एठन एक ही स्तिथी में हाँथ के रखने से या शरीर में अम्ल की अधिकता से दर्द हो सकता है। अम्ल कि अधिकता से माँसपेशियों में खिंचाव हो सकता है।
समाधान - दर्द वाले जगह पर धनिया + खीरा का पेस्ट लगाएँ 20 मिनट के लिए। दिन में दो बार तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
जीवन शैली -
आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
वायु तत्व - प्राणायाम करें, पवनमुक्तआसन करें। दौड़ लगाएँ।
अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
पृथ्वी - सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। बेल पत्ता 8 से 10 पीस कर 100 ml पानी में मिला कर लें। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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