How to prevent heat palm sweating naturally?
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreThe endocrine glands play a major role especially the hypothalamus ( the master gland) in regulating the body temperature. Excess sweating also called hyperhidrosis or Palmer hyperhidrosis is excess sweating on the palm to be specific. Anything miscommunication to the hypothalamus can activate the endocrine glands under your palm to think the internal temperature has raised and secrete water to the skin surface as heat has to be removed by evaporations. Typically these issues are caused due to excess toxaemia in the body and viral neurotoxins can impact the central nervous system to send mixed messages. Some of the key causes are excess caffeine, excess spicy and salty goods, nicotine or side effects of medicines. Such issues start in early childhood and continue through adulthood sometimes affecting other organs too.
Although this is not a serious issue, it can cause discomfort to lead a life especially when hands have to hold on to objects.
Below is a lifestyle that can be followed for your issue which will get better as the body starts cleansing. You will gradually see a change
Follow this:-
Morning on an empty stomach
- 500ml filtered / ash gourd juice / cucumber juice/ Green juice or fruit / any watery vegetable like ashgourd / cucumber / ridge gourd / bottle gourd / carrot / beet with ginger and lime filtered
Afternoon from 12 :-
- A bowl of fruits - don’t mix melons and other fruits. Eat melons alone. Eat citrus alone
- Followed by a bowl of veg salad if needed or more fruits are fine.
- Dinner 2-3 hrs before sleep with Gluten-free - millets rice quinoa, oil free unpolished grains or dals 30% and 70% veggies. Avoid wheat and maida. You can replace this meal also with raw for better results
- Include some exercises that involve moving all your parts (neck, shoulder, elbows, wrist, hip bending twisting, squats, knees, ankles). Join a yoga or gym and sweat out. Moving the body moves the lymphatic system and cleanse the toxins from the cells. In addition to the raw foods, movement is extremely important
- See if u can go to the morning sun for sometime in a day 30 mins atleast. It’s v imp for healing
- Ensure that you are deep asleep between 10-2 which is when the body needs deep sleep.
What to Avoid :-
- Avoid refined oils, fried food , packaged ready to eat foods, dairy in any form including ghee, refined salt and sugar , gluten , refined oils , coooking with oil, chemical suppressors to avoid sweating.
- Avoid mental stress by not thinking about things you cannot control. Present is inevitable. Future can be planned. Stay happy. Happiness is only inside yourself . The world around you is a better place if you learn to stay happy inside yourself. Reach us if you need more help in this area. Emotional stress can cascade the effects. Thank your body and love it.
Thanks to let me know if you have any questions
Be blessed
Smitha Hemadri (educator of natural healing practices)
हेलो,
कारण - पेट में inflammation के कारण अधिक
पसीना उत्सर्जन होता है। खान पान में सुधार करने से फ़ायदा होगा।
समाधान - अनुलोम विलोम, आंतरिक कुंभक और बाह्य कुंभक करें। सर्वांगआसन और सूर्य नमस्कार 5 बार करें। दुध या दुध से बना कोई चीज़ ना लें। नीम के पत्ते का और खीरा पेस्ट अपने पेट पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।
शरीर को यह ज्ञान है कि ख़ुद को स्वस्थ कैसे रखना है। हम इस बात से अनभिज्ञ हैं। जब हमारी प्राणशक्ति हमें ऊर्जा दे रही होती है तो वह स्वास्थ्य की स्थिति है। जब हमारी प्राण शक्ति हमारे शरीर के अंदर विषाणुओं (toxic) को साफ़ ककिसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
पृथ्वी - सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। बेल पत्ता 8 से 10 पीस कर 100 ml पानी में मिला कर लें। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।ओ
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
नमस्ते,
पसीना हमारे शरीर में मौजूद पसीने की ग्रंथियों से निकलता है।,इन्हें एक्राइन स्वेद ग्रंथि कहते हैं।
हथेली का अत्यधिक पसीनापन या पाल्मोप्लान्टर हाइपरहाइड्रोसिस कहलाता है,हथेली और तलवे से सामान्य से अधिक पसीना आना गंभीर बीमारी नहीं बल्कि स्वेद ग्रंथियों में गड़बड़ी होती है, कुछ उपायों से इस समस्याओं को काफी हद तक निदान किया जा सकता है लेकिन स्थाई इलाज सर्जरी है ।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे आंतों में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं।
- भोजन में 80% मौसमी फल एवं हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं छार का संतुलन बना रहता है शरीर के समस्त अंग सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं।
- नियमित हाथ धोइये: पसीने वाले हाथ खुद नहीं सूखेंगे और उन्हें सूखा रखने के लिए आपको उन्हें सामान्य से अधिक बार धोना पड़ेगा। जैसे ही हाथों का पसीना आपको परेशानी देने लगे, आप उन्हें धो लीजिए और फिर किसी टॉवल या कपड़े से अच्छी तरह से सुखा लीजिये।
- अपने साथ एक रुमाल या पेपर टॉवल रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप अपने हाथों को उनसे पोंछ सकें। जब आपको किसी से हाथ मिलाना हो तो पहले उनका इस्तेमाल करे।
- सुखाने और जीवाणुरोधी प्रभाव के कारण, साइट्रिक एसिड शरीर के किसी भी हिस्से में अत्यधिक पसीने के साथ मुकाबला करता है। यह सिर्फ नींबू के एक स्लाइस के साथ समस्या क्षेत्र को रगड़ने या त्वचा पर कई मिनट तक रखने के लिए पर्याप्त है।
- प्रतिदिन कपालभाति, अनुलोम विलोम भस्त्रिका एवं भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें शरीर से बाहर निकलती हैं पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है ।
निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ ,चाय ,काफी ,चीनी ,मिठाइयां ,नमक ,नमकीन, वसा युक्त भोज्य पदार्थ, तली भुनी चीजें, रात्रि जागरण।
Dhatura seeds - use 1 gram with warm water on an empty stomach in the morning.
Sweat glands act as the body’s natural temperature regulators of our body. When there is an imbalance of the functions which might end up in sweat on the palms and soles. This is more of a social embarrassment than a pathological condition. Excessive sweating condition is often referred to hyperhidrosis, which could be controlled by treatment.
Primary causes may be idiopathic reasons or cause is unexplained. Secondary reasons may be due to gout, hyperthyroidism,menopause, obesity, tumour or due to mercury balance. In naturopathy it might be explained due to accumulation of toxins which manifests into these symptoms
Some natural ways to control sweating on the palms and soles
- Avoid Coffee - It is found through studies that excessive use of coffee or caffein in the coffee could contribute excessive sweating
- Taking Shower daily should be helpful. Keep in mind toavoid saunas and hot showers to prevent a rapid increase in body temperature.
- Keeping your palms and soles dry should be helpful to prevent the growth of microorganisms which could prevent the bad odour on them
- Barefoot walking is advised in Naturopathy and exposure to air could be helpful in this condition.
- Keep your shoes well ventilated or for exposure to air after use. which could be helpful to keep your soles dry
- Always wear loose-fitting clothes and allow air circulation to take place and thus allowing the skin to breathe
- Practising some relaxation techniques and meditation could be helpful as well
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