How to get away from Amanthophobia?
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Read morePhobia itself is defined as consistent fear without any rational cause, this phobia can be defined easily without any specific cause which cannot be defined in a rational way. The phobia comes from a rapid onset of fear. Amathophobia is an abnormal and persistent fear of dust, sufferers have anxiety episodes.
Common symptoms can be like these to recognize your phobia.
- Anxiety
- Sweating
- Confusion in mind
- Fainting
Solutions for this problem can be simple and easily dealt with:
- Talking about the problem can help, in the state helps in dealing with the situation.
- Breathing technique like deep relations will help.
- Yoga is also one of the effective ways of dealing with anxiety caused by dust. The exercises are soothing for our mental health.
- Recognize your threat and understand the effects of it on your body.
Thank you
नमस्ते ,
एमंथोफोबिया या धूल का डर एक जुनूनी बाध्यकारी विकार है जिसमें व्यक्ति को धूल से संक्रमण होने का हमेशा डर बना रहता है,वह बार-बार अपने हाथों एवं पैरों को पानी से धोता रहता है, बार-बार कमरे को साफ करता रहता है ।
जुनूनी बाध्यकारी विकार हेतु मनोचिकित्सक से परामर्श एवं निम्नलिखित योग एवं नेचुरोपैथी उपचार इसमें सहायक सिद्ध हो सकते हैं-
- रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है ।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी, नींबू और शहद का सेवन करें ,इससे आंतों में स्थित दूषित बाहर पदार्थ बाहर निकलते हैं।
- प्रतिदिन एलोवेरा ,आंवला, चुकंदर ,नारियल पानी या अनार के जूस का सेवन करें इस शरीर में अम्ल एवं छार का संतुलन बना रहता है अशुद्धियां शरीर से बाहर निकलती है ।
- सूर्योदय के पश्चात 45 मिनट धूप में रहे इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी की आपूर्ति होती है,समस्त अंतः स्रावी ग्रंथियां सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैं ।
- भोजन में 80% मौसमी फल एवं हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें, हल्के सुपाच्य होते हैं जिससे इनका पाचन कम समय में हो जाता है साथ ही साथ शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण प्राप्त होता है !
- प्यास लगने पर मिट्टी के घड़े में रखे हुए जल को बैठकर धीरे-धीरे सेवन करें शरीर को आवश्यक मात्रा में जल की आपूर्ति होती है सभी अंगों सुचारू रूप से अपना कार्य करते हैैं।
- उपवास- सप्ताह में कम से कम 1 दिन उपवास रहें इससे शरीर में स्थित पदार्थ बाहर निकलते हैं शरीर के समस्त अंगों की कार्यक्षमता बढ़ जाती है ।
- प्रतिदिन कपालभाति, अनुलोम विलोम, भस्त्रिका एवं भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।
- प्रतिदिन सुगंधित पुष्पों से युक्त बगीचे में प्रसन्न चित्त होकर नंगे पांव टहलें, इससे मन शांत होता है।
- सकारात्मक मनपसंद संगीत को मधुर आवाज में सुनें मन शांत एवं प्रसन्न चित होता है।
निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ ,चाय, काफी, चीनी ,मैदा, वसा से बनी हुई चीजें ,ठंडे पेय पदार्थ, डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ, क्रोध ,ईर्ष्या ,चिंता ,तनाव ,रात्रि जागरण, सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन ,कंप्यूटर का प्रयोग।
Basically it is an anxiety issue doc. There must be something deep-rooted in their subconscious that makes them fear dust and germs. Most of us have been expecting to live in clean surroundings majorly because of the fear of germs created since generations. Perhaps their ancestors or parents were like that too. You might have to coach them both emotionally and physically.
One way is to educate that germs are friendly and we can heal and keep the body clean by leading a clean and healthy lifestyle. This education will also help them to understand that dust itself is a trigger and not the cause for anything serious. We are symbiotic with germs. We swim in a pool of dust and germs that are not visible to our naked eye. Imo they have an anxiety disorder by lifestyle and such thoughts are just repeatedly happening like a short circuit in the signals like in cases of OCD.
1) Educating them on the theory of germs. I can't attach documents here though.
2) Clean eating habits that have fewer grains and raw for the entire day except for dinner
Again, i would still suggest this to them
Morning on empty stomach
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Celery juice 500 ml filtered / ash gourd juice / cucumber juice/ green juice with any watery vegetable like ashgourd / cucumber / ridge gourd / bottle gourd / carrot / beet with ginger and lime filtered/ tender coconut water or more pure veggie juice
Ensure for the whole day you drink 2-3 ltrs of pure liquids from plain water, fruits , vegetables and greens c tender coconut sugarcane juices
Afternoon from 12 :-
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A bowl of fruits - don’t mix melons and other fruits. Eat melons alone. Eat citrus alone
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Followed by a bowl of veg salad
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Dinner 2-3 hrs before sleep with gluten free, unpolished grains cooked oilfree.
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Please take enema for 30 days with Luke warm water and then slowly reduce the freq. this is not a substitute for daily nature call . Consult an expert as needed
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Include some exercises that involves moving all your parts ( eyes,neck , shoulder, elbows, wrist , hip bending twisting , squats, knees, ankles ) . This will help move the lymphatic system
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See if u can go to the morning sun for sometime in a day 30 mins atleast.
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Ensure that you are asleep between 10-2 which is when the body needs deep sleep. You need a lot of rest to heal your eyes. Avoid a lot of screen time
What to Avoid - these foods cause inflation the body
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Avoid refined oils, fried food , packaged ready to eat foods, dairy in any form including ghee, refined salt and sugar , gluten , refined oils coffee tea alcohol , using oils in cooking
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FOod touching Teflon plastic aluminium copper . Use clay / cast iron / steel / glass
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Avoid mental stress by not thinking about things you cannot control. Present is inevitable. Future can be planned. Stay happy. Happiness is only inside yourself . The world around you is a better place if you learn to stay happy inside yourself. Reach us if you need more help in this area. Emotional stress can cascade the effects. Thank your body and love it. Letting go and surrendering to the universe is the key to tap the subconscious.
Be blessed.
Smitha Hemadri (educator of natural healing practices)
हेलो,
कारण - इस बीमारी में फूलों से डर लगना। डर किसी भी चीज़ का हो कारण एक ही होता है कभी हमारा अचेतन मन उस चीज़ के बुरे अनुभव से गुज़रा हो।
दर्दनाक या तनावपूर्ण घटनाओं का अनुभव से भी ऐसा हो सकता है।अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकार जैसे चिंता, डिप्रेशन, मादक द्रव्यों का सेवन से ऐसा हो सकता है।
समाधान - भ्रामरी प्राणायाम,ताड़ासन, नटराजासन
वृक्षासन,हस्तपादासन, सर्वांगासन, हलासन, पवन-मुक्तासन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।
प्रतिदिन आप ख़ुद को प्यार दें अपने बारे में 10 अच्छी बातें कोरे काग़ज़ पर लिख कर और प्रकृति को अपने होने का धन्यवाद दें।
मानसिक समस्या भी इसी शरीर की समस्या है सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम किसी भी परिस्थिति में सकारात्मक सोंच रखते हैं या नकारात्मक।
प्राकृतिक जुड़ाव आपको सकारात्मक सोंच प्रदान करेंगी क्योंकि प्राकृतिक जीवन शैली अपने आप में पूर्ण भी है और जीवंत भी है। पाँच तत्व से प्रकृति चल रही है और उसी पाँच तत्व से हमारा शरीर चल रहा है।
जीवन शैली - 1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें। वाद्य यंत्र शास्त्री संगीत (instrumental classical music)सुनें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।
3 अग्Iनि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- 4 पहर का स्नान करें। सुबह सूर्य उदय से पहले, दोपहर के खाने से पहले, शाम को सूर्यअस्त के बाद, और रात सोने से पहले स्नान करें। नहाने के पानी में ख़ुशबू वाले फूलों का रस मिलाएँ। नींबू या पुदीना का रस मिला सकते हैं।खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
सर पर सूती कपड़ा बाँध कर उसके ऊपर खीरा और मेहंदी या करी पत्ते का पेस्ट लगाएँ,नाभि पर खीरा का पेस्ट लगाएँ।पैरों को 20 मिनट के लिए सादे पानी से भरे किसी बाल्टी या टब में डूबो कर रखें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग +धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ। शाम को नारियल पानी लें फिर 2 घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें, नारियल की गिरि मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ।इसे बिना नमक के खाएँ, बहुत फ़ायदा होगा।सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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