I have a long case history of GI disorder. Presently I am having problem in stool evacuation properly. Doctors diagnosed it as IBS. Subsequently resulting to gas, acidity and headache due to improper evacuation. I don't drink and smoke. Have normal low non vegetarian diet almost. Doctors say this is a kind of psychosomatic disorder. Can you please help?
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreAkhil, my father suffered from similar issues which did not get diagnosed properly. That eventually became hernia and chronic constipation, prostrate inflammations, extra growth on his penis etc etc. the entire body became toxic leading to cancer and death. Not trying to create the fear, but helping you with the awareness that constipation is not a big thing to heal from when the body is fed the right fuels.
When the colon is lined with rotting waste, unwanted bacteria and food that was not digested properly in the stomach before coming into the colon, it putrefies in the intestines. The causes still remains the same - foods such as dairy eggs, gluten, meat, seafood consumed over a long period of time with heavy fats and proteins that weakens the bile and the hydrochloric acid in the gut. With weaker stomach acids and ineffective weak bile, the food does not get digested properly and moves into the intestine while the pathogens feed on them. Overtime it reaches the colon which is the final dumping ground. This causes inflammation, pains constipation, diarrhoea, difficulty to pass stools and can also result in piles, fissures and yeast infections on the excretory organs.
To heal this condition., It is best that you start cleaning the GUT, which in turn will clean the intestines, blood and liver, which in turn will be ready to absorb and deliver nutrients throughout the body and eventually cleaning the entire body as well. If the previous organs in the process have done their job, the colon will not have to take a hit. it’s very important that the liver starts doing its job to heal any kind of intestinal issues/organs of excretion so that the unwanted food, pathogens and heavy metals don’t end up in the intestines and colon. Ideally, these are supposed to be thrown out naturally after altering its state, but when they end up as-is, they attract more issues in the colon which the colon might not be geared up to do
When body organs are clean, they do their job perfectly well. With the right lifestyle this can be achieved. You must switch to a low-fat plant-based lifestyle. Low fat here because fats also come in low % from raw foods like fruits vegetables and greens.
- Give rest to the digestion and colon by juicing majorly for few days with greens, fruit or veg juices only in abundance like it’s your meal - 3-4 lts for a week.
- Stop the consumption of dairy eggs meat seafood forever in your life
- Stop all forms of fats (oils, grease, nuts seeds) that will add load to an already compromised liver and gi
- Stop all forms of ready to eat foods that are purchased
- Go raw on greens, fruits and veggies majorly for one full month/ 2 months as conditions improve
- Juices till 12, fruits for lunch, vegetables and greens chewed completely and eaten for dinner. 3-4 cups of greens
- After 2 months, start your dinner with steamed veggies and then move on slowly to Cooked food only once a day without using oils or ghee with 30% grains that are gluten-free and oil-free, unpolished, unrefined and 70% vegetables. Don’t mix raw and cooked in the same meal
- Wheat and foods with maida wheat have to be avoided forever.
- Sugar and processed sweeteners to be avoided
- Place a cold wet towel daily on the abdomen for 30 mins. Start with 5 mins hot towel and 25 mins cold everyday twice for 2 months
- Exposure to sunlight for 30 mins
- Yoga pranayama
- Practice mental peace, leading a stress free life, free of any form of negativity
- Take water enema for a month without interfering with your normal bowel movements after constipation is resolved. Consult an expert as needed
- Expect some infections as you are on a healthy lifestyle as the junk comes out of the body. Don’t suppress your symptoms. Only juicing to be done to relieve it.
Let us know if you have any questions
Be blessed
Smitha Hemadri (educator of natural healing practices)
हेलो,
कारण - पाचन प्रणाली में शरीर के कई अंदरूनी अंग आते हैं जो सभी एक ट्यूब की मदद से एक दूसरे से जुड़े होते हैं। पाचन तंत्र में मुंह से लेकर गुदा तक कई अंग होते हैं, जिनमें भोजन नली, पेट और छोटी व बड़ी आंत शामिल होती हैं। इसके अलावा पाचन प्रणाली में लिवर, पित्ताशय की थैली और अग्नाशय भी शामिल हैं, क्योंकि ये सभी भोजन पचाने के लिए पाचक रस का निर्माण करते हैं। पाचन तंत्र शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों का अवशोषण करने में मदद करता है और व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। इसी क्रिया में अवरोध होने से यह समस्या खड़ी होती है।
समाधान - शारीरिक और मानसिक क्रिया में संतुलन बनाए। दौड़ लगाएँ।सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन
पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।
10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो। वर्षों से जमी टॉक्सिन को निकालना ज़रूरी है। किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में पहली बार लें। एनिमा किट मँगा लें । यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 100ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में एक बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में उपस्थित विषाणु निष्कासित हो जाये।ओ
शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।
आपका मुख्य आहार ये हुआ तो बहुत अच्छा हो जाएगा।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।
3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।
नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। जो की आपको ज़बर्दस्त फ़ायदा करेगा। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें।
दोपहर इस जूस को फिर से लें और एक घंटे बाद सलाद लें। सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ कुछ कच्चे हरे पत्तेदार हर्ब और कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin ) 50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash gurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। इसी प्रकार हरा गोभी, बंद गोभी, गाजर, चुकन्दर भी कद्दूकस करके डालें। हर दिन मुख्य सब्ज़ी किसी एक की मात्रा अधिक बाँकि सब थोड़ा थोड़ा डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।ओ
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं। ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन छोड़ने से ज़्यादा लाभ होगा।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
नमस्ते,
अनियमित दिनचर्या ,खानपान की गड़बड़ी, क्रोध, ईर्ष्या, चिंता ,तनाव, रात्रि जागरण, नशीली वस्तुओं के सेवन इत्यादि वजह से भोजन का सही से पाचन ,अवशोषण एवं मल का निष्कासन नहीं हो पाता जिससे पाचन तंत्र से संबंधित कई समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी इत्यादि समस्याएं प्रारंभ हो जाती हैं।
चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) लक्षणों का एक समूह है जो एक साथ होते हैं, जिसमे पेट में बार-बार दर्द और अंतरराष्ट्रीय आंदोलनों में परिवर्तन शामिल हैं , इसमें दस्त, कब्ज या दोनों हो सकते हैं, IBS के साथ, पाचनतंत्र में क्षति या बीमारी के किसी भी लक्षण के बिना ये लक्षण दिखाई देते हैं ।
आपको निम्नलिखित जीवनशैली का पालन करना चाहिए
- नींद -रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है एवं शहद का सेवन करें ।
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी में नींबू एवं शहद का सेवन करें इससे आंत की दीवारें फैलती हैं ,दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
- भोजन में 50% मौसमी फल 35% हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुत अंकुरित अनाज एवं 5% सुखी मेंवे का प्रयोग करें, इससे शरीर को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं पाचन अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- सप्ताह में कम से कम 1 दिन उपवास रहें, इससे शरीर से दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं, पाचन अंगों को आराम मिलता है।
- मसाले मिर्च- मसालों में जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनियाँ, दालचीनी, सौंफ, मेथी, लाभकारी हैं।
- 8 / 16 नियम- 8 घंटे के भीतर दो भोजन करना और 16 घंटे का उपवास करने को 8 / 16 के नियम से जाना जाता है। जब आप 12 से 1 बजे के बीच और रात को 8 से 9 बजे तक दो भरपेट भोजन लेते हैं और 16 घंटे के लिए अपने पाचन तंत्र को आराम देते हैं तो चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम दो दिन आप इस नियम को जरूर पालें। आपको इन दो दिनों में केवल अपना सुबह का नाश्ता नहीं लेना है, केवल दोपहर और रात के भोजन ही लेने हैं। सुबह से दोपहर तक जब आप भी भूख का आभास हो तो पानी या नीम्बू पानी पी लिया करें, यह पेट के तंत्र को मजबूत भी करेगा और आराम भी देगा। लेकिन यह नियम केवल पालें जब आप केवल IBS की शिकायत हो। यदि इरिटेबल बॉवेल अल्ट्रा के साथ एसिड सम्बन्धी कोई बीमारी जैसी कि गैस्ट्रिटिटिस, एसिडिटी इत्यादि; तो तीन या चार बार हल्के सुपाच्य आहार लेना चाहिए।
- प्रतिदिन कपालभाति, अनुलोम-विलोम ,भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है, मन शांत एवं तनाव मुक्त होता है।
- पवनमुक्तासन ,भुजंगासन ,हलासन ,मत्स्यासन ,सर्वांगासन का अभ्यास करें इससे पेट व आंत की मांसपेशियां मजबूत होती है।नोट- समस्त योग की क्रियाएं अनुभवी योग एवं नेचुरोपैथी फिजीशियन के निर्देशन में करें।
- प्रसन्न चित्त रहें, खुलकर हंसे, सकारात्मक सोचें।
निषेध- जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, चाय ,काफी ,चीनी, मिठाईयां ,नमक ,नमकीन, ठंडे पेय पदार्थ ,डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ, रात्रि जागरण,सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन, कंप्यूटर का प्रयोग, क्रोध, ईर्ष्या, चिंता, तनाव।
Your problem can be easily solved. Consider the below natural therapies for your problems.
- Apply a wet pack daily on your abdomen in empty stomach for 20 minutes.
- Take cold hip bath daily.
- Mud application on the abdomen daily also would help you.
- Take lot of fruits/raw vegetables.
- You can be on raw diet or on friut diet alonefor a few days.
- Take lot of water. If possible mix With honey.Avoid dairy which May be in the form. Tea/coffee.Avoid wheat if it contains gluten.
- Avoid spicy foods.
Hi. Please refer to the below resources to understand more about digestive issues & Nature Cure.
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Blogs -
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Real-life natural healing stories of people who cured digestive issues just by following Natural Laws.
Adopting a natural lifestyle will help you in reclaiming your health. You can explore our Nature-Nurtures Program that helps you in making the transition, step by step.
Hi there,
IBS also known as irritable bowel syndrome is an uncomfortable disorder characterized by dramatic changes in bowel movements. Some people experience diarrhoea, while others have constipation and other associated symptoms. Cramps and abdominal pain are the commonest symptoms.
While a person with IBS should adjust your diet according to the daily health condition because of the gut movements. See to it that your food doesn't cause further complications.
1.High-fibre diet
• Fibre adds bulk to your stools, which helps aid in movement. Fibre-rich foods such as fresh fruits, beans, pulses, lentils, seeds and nuts, whole grains, whole bread, brown rice etc..;help prevent constipation because of their rich fibres. Insoluble fibres works better for treating the symptoms of constipation or hard and dry stools.
• Increase the amount of fluid intake such so as to keep your body hydrated. Dehydration is one of the major factor responsible for constipation.
• Dietary fibres works best when there is sufficient fluids or water around, absorbing them and retaining the water making the stools soft, heavy or bulky and less dry.
2. Low-fibre diet
• While fibre can help some people with IBS, increasing fibre intake can worsen symptoms if you frequently have gas and diarrhoea. Do not completely eliminate fibre from your diet, concentrate on sources of soluble fibres such as apples, berries, carrots,and oatmeal.
• Go for more soluble fibres when you experience symptoms such as loose stools or diarrhoea and abdominal bloating.
3. Always go for a gluten-free diet which means eliminate barley, rye, wheat. These foods worsen the condition.
4. Eliminate or cut off coffee, chocolates, alcohol, smoking and other cold beverages. This will help relieve IBS from worsening and prevent gastric ulcers. Also, avoid spicy and oily foods.
5. Prepare fresh cabbage juice and drink three times a day. It'll help in the healing process of the guts rapidly.
6. Garlic and ginger are known for their antimicrobial and anti-inflammatory properties. Consuming them will help improve your guts function.
7. Stress is also one main factor responsible for gastric ulcer and related problems. Make sure that you utiles an hour or two daily on physical activity or exercises that will help relieve your stress and improve your metabolic activities as well .
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Dr. Khushbu Suthar
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Ruby
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Smitha Hemadri
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