What's the best cure for fistula without surgery? Please help!
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Read moreनमस्ते,
भगन्दर गुद प्रदेश में होने वाला एक नालव्रण है जो भगन्दर पीड़िका से उत्पन होता है। इसे इंग्लिश में फिस्टुला कहते हैं। यह गुद प्रदेश की त्वचा और आंत्र की पेशी के बीच एक संक्रमित सुरंग का निर्माण करता है जिस में से मवाद का स्राव होता रहता है। भगन्दर की शुरुआत में गुदा मार्ग में छोटी फुंसियां होती हैं, जिनमें छूने या बैठने पर हल्का दर्द हो सकता है। कुछ सप्ताह बाद ही इन फुंसियों में मवाद आ जाता है और ये फूट जाती हैं। ऐसे में रोगी को बैठने, लेटने और शौच करने में दर्द का अनुभव होने लगता है। यह बवासीर से पीड़ित लोगों में अधिक पाया जाता है।
- नींद- रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें इससे शरीर में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है।
- प्रतिदिन नीबू ,संतरा ,अनन्नास या पालक के जूस का सेवन करें इससे शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है।
- अधिक मात्रा में सब्जियाँ, गेहूँ का चोकर, साबुत अनाज की ब्रेड और दलिया तथा फल लें। यह निश्चित करें कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी – छः से आठ गिलास प्रतिदिन – ले रहे हैं। अपर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने से कब्ज में बढ़ोतरी होती है।
- सेब, अन्नानास, संतरे, आडू, नाशपाती, अंगूर और पपीता सेवन हेतु उत्तम वस्तुएँ हैं।
- पर्याप्त मात्रा में मेवे, शीरा, दालें, फलियाँ, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, टमाटर, पत्तागोभी, प्याज आदि का सेवन करें, हल्की एवं सुपाच्य होते हैं इनका पाचन एवं अवशोषण आसानी से होता है परिणाम स्वरूप मल का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
- 30 मिनट तक मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम या पैदल चलने से आँतों की नियमित गतिविधि और मलत्याग होता है, जिससे मल की अधिक मात्रा संचित होकर सख्त या कड़क नहीं हो पाती और इसका त्याग भी कठिनाई भरा नहीं होता।
- स्नान व्यायाम- इस व्यायाम द्वारा क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे ठीक होने में वृद्धि होती है, शुरू करने के लिए, गर्म पानी से टब को अधिकतम संभव स्थिति तक भर लें। टब में बैठने के दौरान, गुदा में मल के त्याग को रोकने वाली पेशी को सिकोड़ लें, इसके पश्चात् इस पेशी को ढीला छोड़ने पर ध्यान केन्द्रित करें, टब में बैठे रहने के दौरान प्रत्येक 5 मिनटों में सिकोड़ने और ढीला छोड़ने की क्रिया दोहराएँ,दिन में तीन बार टब में स्नान करें, और प्रत्येक स्नान के दौरान इस व्यायाम को करें।
योग
- भगंदर में आराम देने वाले योगासनों कापास अनुभवी योग्य नेचुरोपैथी फिजीशियन के निर्देशन में ही करें-
- धनुरासन
- पवनमुक्तासन
- त्रिकोणासन
निषेध-
- मैदे और शक्कर से बने उत्पाद, बिस्कुट, केक्स, पेस्ट्रीज आदि,
- चावल, पनीर, परिरक्षक भी अस्वास्थ्यकारी होते है, रात्रि जागरण , क्रोध, चिंता ,तनाव सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल ,टेलीविजन, कंप्यूटर का प्रयोग ।
Hi
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A fistula may be explained in simple terms as an abnormal connection or passageway that connects two organs or vessels that do not usually connect. This fistula may develop anywhere in our body between the intestine and the skin, between the vagina and the rectum, and other places. Mostly it is caused by some infection or inflammation in these organs leading to bleeding or opening of these abnormal channels which could disrupt our normal functions of these organs in our body.
Most common symptoms are a pain, redness and swelling around the affected areas and in advanced cases, you may also find some foul smell and pus oozing out of these affected organs
Management :
- Sitz bath or bath given to pelvic areas in Naturopathy could be found effective. Caution is that it might be suggested that this treatment be taken under the supervision of the registered Naturopath
- You may wear a pad if the anal canal is involved until the wounds are healed
- Diet must be taken care of that you must avoid getting constipation which could complicate or delay your healing process. Hence diet rich in fiber and stool softening diet must be consumed. Avoid spices, chilies, artificial ingredients like Ajinomoto, etc which could irritate your GIT and delay your healing process
हेलो,
कारण - फिस्टुला के कुछ प्रकार होते हैं लेकिन इसका सबसे आम प्रकार है भगन्दर (एनल फिस्टुला)।
भगन्दर एक छोटी नली समान होता है जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता।
ज़्यादातर भगन्दर आपकी गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं।
समाधान - मकरआसन में लेट कर सूर्य की रोशनी लगाएँ।
एक टब में पानी भर कर उसमें 500ml नीम के पतों का रस मिलाएँ और उसमें 20 मिनट के लिए बैठें।
सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।
नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
जीवन शैली - आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
पृथ्वी - सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। बेल पत्ता 8 से 10 पीस कर 100 ml पानी में मिला कर लें। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
भगंदर ठीक होने के बाद किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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