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Q&A
04:33 PM | 22-11-2019

I'm diabetic from 4 years, I have belly fat, I am 5'4 and weight is 61. I'm fedup taking insulin n medicines. Is there anything else that I can do?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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4 Answers

10:02 AM | 25-11-2019

Hi. We would like to guide you to a few resources - 

  1. Read the journeys of people who dealt with diabetes naturally

  2. Read these blogs listed in our Body Wisdom section –

Adopting a natural lifestyle will help you in reclaiming your health. Wellcure’s Nature-Nurtures Program helps you in making the transition, step by step. You may read more about it here



10:01 AM | 25-11-2019

Diabetes mellitus is a condition which consists of  a group of diseases characterized by elevated blood glucose levels due to defects in insulin secretion, insulin action, or both. Type 2 diabetes usually begins with insulin resistance after the age of 40 years while Type 1 is dependent on insulin. It runs in families. Here the pancreas might have been functioning normally and slowly due to wear and tear mechanism it might be producing insufficient insulin in the body

Naturopathic treatment strategies for diabetes aim to get a patient’s blood sugar levels back within a healthy range. Diabetes is caused by a number of factors, most of them are controllable, including diet, physical activity, stress, eating habits and behaviors, and obesity. It could be caused due to nutritional deficiencies, environmental toxins and hormonal imbalances can also contribute to insulin resistance, and require special training to evaluate. A naturopathic doctor explores all the factors to work out a way to determine which ones should be prioritized and how they could be modified.

Naturopathic management

  1. Hydrotherapy measures like hip bath, abdominal pack, gastro hepatic packs all work on improvising the circulation of abdomen and increase the insulin secretion. These baths could be taken in a naturopathic health center under the supervision of a registered naturopath.
  2. Massage therapy to the abdomen will work wonders. Movements like friction, percussion will work toward increasing the function of pancreas thus by increasing the secretions
  3. Mud pack to abdomen could well improvise the blood circulation and work towards the increasing the insulin levels in the body
  4. Diet Therapy – Diet plays a vital role in the management of diabetes. Foods rich in starch and carbs should be consumed in minimum quantities. Vit C could be consumed more in order to prevent infection and effective wound healing. Foods rich in antioxidants could increase the immunity. Special vegetables like bitter gourd, methi leaves, koul-koul, carrots, raddish etc could be consumed in large quantities. Raw diet therapy could be helpful in the management of diabetes. Fruits like banana, jack fruit, mango, grapes could be consumed in minimal quantities.
  5. Yoga therapy – Twisting and forward asanas would improvise the functions of the pancreas increasing the blood circulation, thus increasing the insulin secretions. Pranayama and meditation could be helpful to bring down the stress levels and increase the mind power, thus increasing the healing rates

 



06:48 PM | 27-11-2019

 नमस्ते,

मधुमेह चयापचय सम्बन्धी बीमारियों का समूह हैं,जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता हैं ।
मधुमेह के कारण -

  1. अग्नाशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता। 
  2. शरीर की कौशिकाएँ इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती हैं ।

मधुमेह के लक्षण -

  1. बार-बार पेशाब का आना ।
  2. कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना ।
  3. बार-बार फोड़े-फुंसियाँ निकलना ।
  4. चक्कर आना ।
  5. चिड़चिड़ापन दिखाना ।  
  6. गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म होना।
  7. आँखों की रौशनी का कम होना ।
  8. ज्यादा मात्र में प्यास लगना ।

मधुमेह से बचने के उपाय :-

  • नींद -रात्रि में 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें इससे शरीर में स्थित उसे पदार्थ बाहर निकलते हैं कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है।
  • प्रतिदिन प्रातः एलोवेरा, आंवला ,करेला या लौकी के जूस का सेवन करें शरीर में अम्ल एवं क्षार का संतुलन बना रहता है।
  • सुबह टमाटर, संतरा और जामुन का नाश्ता करें, इनकी 300 ग्राम मात्रा प्रर्याप्त है ।
  • नियमित तीन महीने तक करेले की सब्जी बनाकर खान से मधुमेह में निश्चित रूप से लाभ होगा ।
  • रात को मेथी के दाने पानी में भिगो कर रख दीजिए, सुबह उठकर दातुन कर वह पानी पीकर मेथी के दाने धीरे-धीरे चबा लीजिये, मधुमेह धीरे-धीरे ठीक होता चला जायेगा ।
  • रात को काली किशमिश भिगोकर रखीए, सुबह उठने के साथ उसका जल छान कर पी लिजिए ।
  • आवंले के चूर्ण को भिगोकर उसे कुछ देर रहने दीजिए, फिर उसे छान कर उसमे निम्बू का रस निचोड़कर सुबह उठते ही पी ले
  • तमाल पत्र(तेजपत्ता) को कूटकर कपडे से छान कर चूर्ण बना लें, सुबह उठते ही 5 ग्राम चूर्ण कि मात्रा गुनगुने पानी के साथ लें, दस दिनों के  भीतर ही भीतर लाभ मिलेगा।
  • आवला, हल्दी और मेथी-तीनों को समभाग मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को यदि मधुमेह का रोगी सुबह, दोपहर और शाम को पानी के साथ एक चम्मच भर सेवन करे, तो वह दो महीने के भीतर-भीतर मधुमेह के रोग से मुक्त हो सकता है ।
  • मधुमेह के शिकायत होने पर आम और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार लगातार एक महीने तक सवेन करें
  • जामुन कि गुठली और हरिद्रा कि बराबर मात्रा लेकर कूट-पिस कर चूर्ण बना कर शहद के साथ चाटें ।
  • डायबिटीज के इलाज के लिए बेलपत्र बड़े उपयोगी है, यह सिद्ध प्रयोग है कि बेलपत्र और नीम के पत्ते 11-12 नग लेकर उन्हें तुलसी के करीब 5-6 पत्तों, 5 नग मुन्नका और 5 नग काली मिर्च के साथ पिस कर गोलियां बना लें एक-एक गोली प्रतिदिन प्रात: जल के साथ लेने से भयंकर मधुमेह रोग का केवल तीन-चार महीनों में निवारण हो जाता है, लेकिन साथ में खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ।
  • जामुन के कोमल हरे पत्ते पीसकर नियमित 25 दिन तक प्रात: पानी के साथ पीने से पेशाब में शक्कर जाना रुक जाता है ।
  • प्रतिदिन मंडूकासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, भुजंगासन सर्वांगासन का अभ्यास करें, पेट के आंतरिक अंगों की क्रियाशीलता बढ़ती है।
  • प्रसन्न चित्त रहें, खुलकर हंसे ,सकारात्मक सोचें।

निषेध -जानवरों से प्राप्त भोज्य पदार्थ, चाय ,काफी, चीनी, मैदा ,वसा से बनी हुई चीजें, क्रोध, ईर्ष्या ,चिंता, तनाव, रात्रि जागरण।



07:39 PM | 22-11-2019

हेलो,

कारण- प्राकृतिक जीवन शैली के अनुसार शुगर कोई बीमारी नहीं है। ख़राब हाज़मा और ग़लत खान पान के वजह से शरीर इस रूप में प्रतिक्रिया कर रहा है। शरीर को नहीं अपनी आदतों को जाँचे। 

ख़राब हाज़मा के कारण पेट की चर्बी बढ़ रही है।

इस जीवन शैली को अपनाने पर आप का इंसुलिन लेने के मात्रा में कमी आएगा।

3 से 6 महीने में इंसुलिन से दवाई पर और दवाई से बिना दवाई के वास्तविक जीवन शैली का आनंद ले सकेंगे।

जब तक प्राण सकती है तब तक शरीर के अंदर का कोई भी अंग जो की निष्क्रिय हो गया वो सक्रिय हो सकता है। सही खुराक जो की शरीर की ज़रूरत है।

समाधान - शारीरिक और मानसिक क्रिया में संतुलन बनाए। दौड़ लगाएँ।सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन

पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।

10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो।  वर्षों से जमी टॉक्सिन को निकालना ज़रूरी है। किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में पहली बार लें। एनिमा किट मँगा लें । यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 100ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में एक बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में उपस्थित विषाणु निष्कासित हो जाये।ओ

शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।

आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

आपका मुख्य आहार ये हुआ तो बहुत अच्छा हो जाएगा।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।

3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।र

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। जो की आपको ज़बर्दस्त फ़ायदा करेगा। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें। कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

दोपहर में 12 बजे फिर से कच्चे सब्ज़ी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2 घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डाले। ताज़ा नारियल मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ, बहुत फ़ायदा होगा।  रात का खाना 8 बजे खाएँ। 

एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं। ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन छोड़ने से ज़्यादा लाभ होगा।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। 

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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