Is fibroids and irregular periods age related. Also, after 40, flow is less. Please answer. Is any solution there?
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Read moreOur diseases are not age-related. In fact, we can grow old and become healthier day by day rather than getting ourselves vulnerable to diseases. But due to our continuous exposure to pollution, processed food and stress we limit ourselves from exploring good health and we tend to put the blame on our growing selves. You can be aged and still be healthier. The best part is we can always start with good health at any time and make ourselves feel the freedom of the disease-free body.
A fibroid is a collection of the toxins accumulated together, benign in nature it causes a physiological disturbance in the body which further produces cancerous elements. You should start taking your diet seriously with inclusions of herbs. Fibroid cured naturally, using this blog you will get clear gist on how fibroids can be healed naturally.
In-home therapies using curry leaves in your diet especially by boiling and drinking their water is found to be beneficial for our uterus health.
Yoga Asanas which helps in fibroid are:
- Suptavirasana,
- Salamba Setu bandhSarvangasana,
- Supta baddha konasana.
Thank you
Hi,
Suggest you read women’s Health related stories in our Journeys section.
You can reclaim your health by following a natural lifestyle. You can explore our Nature-Nurtures Program that helps you in making the transition, step by step.
नमस्ते,
बिगड़ते जीवन शैली एवं खानपान की गड़बड़ी की वजह से फाईब्रॉइड या रसौली की गांठें महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास बनती है ।
इस बीमारी के ज्यादातर लक्षण न होने के कारण महिलाओं को इसका पता नहीं चल पाता, यह समस्या 30 से 50 की उम्र में देखने को मिलती है लेकिन गलत खान-पान के कारण यह समस्या इससे कम उम्र में हो जाती है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का एस्ट्रोजन हार्मोन स्तर ज्यादा होने के कारण उन्हें इसका खतरा सबसे अधिक होता है।
फाइब्रॉइड या रसौली के लक्षण-
पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग,
अनियमित पीरियड्स,
पेट के नीचे के हिस्से में दर्द,
प्राइवेट पार्ट से खून आना,
कमजोरी महसूस होना,
प्राइवेट पार्ट से बदबूदार डिस्चार्ज,
पेट में अचानक दर्द,
कब्ज,
पेशाब रुक-रुककर आना,
आपको निम्नलिखित जीवन शैली का पालन करना चाहिए-
- प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी, नींबू एवं शहद का सेवन करें, इससे शरीर में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं।
- भोजन में 50% मौसमी फल 30% कच्ची हरी पत्तेदार सब्जियां 10% साबुन अंकुरित अनाज एवं 5% सूखे हुए मेवे का प्रयोग करें, इससे शरीर को संतुलित मात्रा में भोजन प्राप्त होता है।
- सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास रहें, इससे शरीर में स्थित दूषित पदार्थ बाहर निकलते है ,पाचनतंत्र को आराम मिलता है
- प्रतिदिन प्रातःखट्टे फलों का सेवन करें इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है, यह शरीर को अंदर से साफ करता है और यूट्रस में फाइब्रॉयड को बनने से रोकता है।
- बादाम में ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं जो कि यूट्रस की लाइनिंग को ठीक करते हैं। फाइब्रॉयड ज्यादातर यूट्रस की लाइननिंग पर ही होते हैं।
- रसौली की समस्या होने पर खाली पेट रोज 1 लहसुन का सेवन करें। लगातार 2 महीने तक इसका सेवन इस समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।
- एंटीबॉयोटिक गुणों से भरपूर हल्दी का सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है। यह फायब्रॉइड की ग्रोथ को रोक कर कैंसर का खतरा कम करता है।
निषेध -नमक, नमकीन, ठंडे पेय पदार्थ, डिब्बाबंद भोज्य पदार्थ, चाय, काफी, चीनी, मिठाईयां, रात्रि जागरण सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन,कंप्यूटर का प्रयोग ,
Fibroids and irregular periods are not age related. Fibroids are present in ladies at the age of 29 also.
Irregular periods are present at the age of 18 also. This problem can be easily corrected if they practice yoga daily and if they take lot of natural friuts and raw vegetables. They definitely should avoid fast foods/snacks in any form.
At the age of 40 periods generally is regular and generally ladies do not complain. At the age of 44 to 48 generally menupause occurs and therefore there may be mild problem.
हेलो,
कारण - बच्चेदानी या गर्भाशय में रसोली (फाइब्रॉएड) एक प्रकार के मांसल ट्यूमर होते हैं जो गर्भाशय (गर्भ) की दीवार में बनते हैं। रसौली को चिकित्सकीय भाषा में लिओम्योमा (Leiomyoma) या म्योमा (Myoma) कहते हैं। फाइब्रॉएड हमेशा कैंसरजनक नहीं होते। फाइब्रॉएड एक या कई ट्यूमर के रूप में विकसित हो सकते हैं। यह सेब के बीज के समान छोटे और अंगूर के समान बड़े भी हो सकते हैं।
फाइब्रॉएड विकसित हो जाता है तो, यह रजोनिवृत्ति के बाद तक बढ़ता रहता है। जैसे जैसे एस्ट्रोजेन का स्तर कम होता है, फाइबॉइड सिकुड़ता जाता है।
अधिक वजन या मोटापे में गर्भाशय फाइब्रॉएड से पीड़ित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
समाधान - गर्भाशय पर mudpack लगाएँ। 20 मिनट बाद साफ़ कर लें।
खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।
नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, अनुलोम विलोम,
पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।
10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो।
जीवन शैली- 1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2. वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3. अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4. जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5. पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी ले। एक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
6. एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
7. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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