Iam suffering with non alcoholic fatty liver since 2014 but still didn't recover from it. I am not a diabetic and also not a obesity patient. My LFT test results shows normal but my bile duct shows 1. 6 So please tell me what I have to do recover from this problem?
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Read moreनमस्ते,
नान एल्कोहलिक फैटी लिवर होने के कारण निम्नलिखित है-
- आनुवांशिकता
- मोटापा
- फैट खाद्य और मसालेदार खाने का सेवन
- रक्त में वसा का स्तर बहुत अधिक होना चाहिए
- अंडा, एस्पिरीन या ट्रेटासिक्लीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन करें
- पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
- वायरल हेपाटाइटिस
लक्षण-
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में गिरावट
- कमजोरी महसूस करना
- आँखों और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
- भोजन सही प्रकार से हजम नहीं होना चाहिए जिसके कारण एसिडिटी का होना
- पेट में सूजन होना
आपको निम्नलिखित चीजों का पालन करना चाहिए-
- ताजे फल और सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
- -अधिकृत युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फल और साबुत अनाज।
- -अधिक नमक, ट्रांसफैट, रिफाइंड ड्राई्रेट्स और सफेद चीनी का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।
- एल्कोहल या शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
- -भोजन में लहसुन को शामिल करें यह फैट जमा होने से रोकता है।
- तले-भुने और जंक फूड का सेवन सर्वथा त्याग दें
- -इन सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें जैसे पालक, ब्रोक्ली, करेला, लौकी, टिंडा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक और अंकुरित अनाज खाएँ, फैटी लीवर को कम करने में सहायक है।
- -राजमा, सफेद चना, काली दाल इन सब का सेवन बहुत कम करना चाहिए और हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।
- -मक्खन, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी इनका उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- प्राणायाम करें और सुबह टहलने जाएँ।
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हेलो,
कारण - फैटी लिवर एक reversible condition है जो अपने जीने के ढंग और तौर-तरीकों को बदल कर सही की जा सकती है।
fatty liver disease (hepatic steatosis) हो सकती है. अधिक मात्रा में फैट या वसा का होना लिवर की normal functioning को प्रभावित कर देता है और तब यह आपकी खायी-पी हुई चीजों को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है. इसी को फैटी लिवर डिजीज कहते हैं.
जो भी भोजन करते हैं उससे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्वों को प्रोसेस करने का काम लिवर ही करता है. अगर लिवर ठीक से काम ना करे तो शरीर का मेटाबोलिक बैलेंस भी गड़बड़ हो जाता है.
जब बॉडी बहुत अधिक फैट बनाती है या बने हुए फैट को तेजी से मेटाबोलाइज नहीं कर पाती है. ऐसा होने पर जो excess fat होता है वह liver cells में इकठ्ठा हो जाता है।
समाधान - सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, भुजंगआसन, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, पवनमुक्तआसन करें।
पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।
खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।
नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
जीवन शैली- 1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से
घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
8.उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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