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Q&A
09:53 AM | 16-12-2019

Any treatment / herbs for type 1 diabetes to 5 yr child?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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2 Answers

07:00 PM | 16-12-2019

हेलो,

कारण - प्राकृतिक चिकित्सा में शुगर को कोई बीमारी  नहीं मानते। शुगर कोई बीमारी नहीं है। ख़राब हाज़मा और ग़लत खान पान के वजह से शरीर इस रूप में प्रतिक्रिया कर रहा है। शरीर को नहीं अपनी आदतों को जाँचे। जब तक प्राण सकती है तब तक शरीर के अंदर का कोई भी अंग जो की निष्क्रिय हो गया वो सक्रिय हो सकता है। सही खुराक जो की शरीर की ज़रूरत है।

समाधान - शारीरिक और मानसिक क्रिया में संतुलन बनाए। दौड़ लगाएँ।सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन

पश्चिमोत्तानासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, शवासन करें।

10% कच्चे हरे पत्ते और सब्ज़ी का जूस बिना नमक निम्बू के लेना है।30% कच्चे सब्ज़ी का सलाद बिना नमक निम्बू के लेना है।10% ताज़ा नारियल सलाद में मिला कर लेना है। 20% फल को लें। पके हुए खाने को केवल एक बार खाएँ नमक भी केवल एक बार पके हुए खाने लें। पके हुए खाने में सब्ज़ी भाँप में पके हों और तेल घी रहित होना चाहिए सब्ज़ी की मात्रा 20% और millet या अनाज की मात्रा 10% हो।  वर्षों से जमी टॉक्सिन को निकालना ज़रूरी है। किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में पहली बार लें। एनिमा किट मँगा लें । यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 100ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में एक बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में उपस्थित विषाणु निष्कासित हो जाये।ओ

शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।

आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।

पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

आपका मुख्य आहार ये हुआ तो बहुत अच्छा हो जाएगा।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।

3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।र

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह खीरे का जूस लें, खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर I100ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। जो की आपको ज़बर्दस्त फ़ायदा करेगा। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें।

दोपहर में 12 बजे फिर से कच्चे सब्ज़ी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2 घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डाले। ताज़ा नारियल मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ, बहुत फ़ायदा होगा। पृथ्वी तत्व को शरीर में डालने का एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं। ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन छोड़ने से ज़्यादा लाभ होगा।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। 

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)



06:59 PM | 16-12-2019

Dear health seeker,

Please rest assured that your child can lead a healthy life full of gay, abundance, and verve provided of course he lives a hygienic lifestyle in the conformation of eternal laws of nature governing our organism. Juvenile diabetes can be cured easily, I have written a blog about the same which is forwarded for your ready reference:

JUVENILE DIABETES: A RADICAL CURE IS POSSIBLE
There was a time when diabetes was rare among children. A man of 50 or 60 could be a victim and that too would be taken as an old age disease. Times have changed, Science has ''progressed', and hence disease also MUST. NOW we are told that children are also developing this dreaded disease { in fact a mother of all diseases}, { or it is a gift of civilized,unhygienic life, to children}. The clever term used is ''Juvenile'' diabetes, showing it was not there ere long.
Why should children become diabetic? It is a serious question. Nobody seems to realize the gravity. Why on earth children should be afflicted by this? There are four possible reasons.;-
1. Born with a weak pancreas or liver.
2. Indiscriminate feeding of children with heavy starches and sugar, unhealthy and filthy baby foods. 3. Inoculation, vaccines and drugging during acute diseases, like, fever, cold diarrhea measles, etc.
4. Psychological disturbances.
1. Congenital;-- when one becomes sick he usually searches for causes[ THOUGH THE CAUSE IS WITHIN HIMSELF] When none could be found, he usually finds his parents or grandparents afflicted with similar disease and he ''consoles'' himself saying that he has inherited the disease. This is far from the truth. No disease is inherited. The placenta does not allow any poison to get into it. [ OF COURSE, MODERN KILLER DRUGS DO PENETRATE THE POWERFUL PLACENTAL BARRIER] If the larger hands -the part of pancreas which produces insulin --is originally defective, the child may develop diabetes in early stages.
2. INDISCRIMINATE FEEDING;-Parents in general do with their children to grow fast and fat. This is more due to the wrong propaganda by baby food manufacturers, through, various forms of advertisement. The human child is not intended to grow as fast as some animals whose life span is far shorter. A human being is designed to grow in 20--25 yrs. while a cow grows fast in 2-3 yrs., We give a lot of animal products [ milk, meat eggs,fish ], STARCHES & SUGARS TO CHILDREN. IN THE BEGINING, THE VITAL ORGANS DO PROTEST through acute diseases, which are suppressed by heavy drugging. The vital organs get completely exhausted. Diabetes in children is due to exhaustion of pancreas and liver in dealing with huge intake of starches and sugars & other devitalizing baby foods.
3, Most importantly, a no. of so-called preventives [ prophylactics ] ARE given to children right from birth [ THINKING THEM TO BE A PANACEA ].
All of them are dirty and nothing else. They may damage one or more vital organs.
In our view most of the complicated diseases of children can be attributed to these reckless preventives, these preventives act as [ PREVENT DISEASE BY GIVING DISEASE ] theory, the absurdity of which can be realized by the individual.


• TREATMENT;-

If it is congenital, very little can be done. But if 100% NON-STARCHY vegetables, like leafy vegetables, germinated grams, a small quantity of milk of coconut or milk prepared by sesame or melon seeds prepared at home, etc, are given the child can live a reasonably healthy life. If instead of that, insulin, or other drugs are administered and rice, wheat, etc, are consumed. Slow deterioration will take place & life will become miserable.
Along with diet reform, a few leaves of BILVA AND 2 ounce of ash gourd juice once or twice a day will give an added advantage.
[ BILVA JUICE CONTAINS NATURAL INSULIN ] & is very effective in all diabetes cases.
It is very essential that the child is exposed to the early morning sun daily for 20 minutes. 
     No  processed, refined, devitalizing foodless foods should be given to the child, avoid  all animal products and  medicines 
     Health to your child. 
     V.S.Pawar Member Indian institute of natural therapeutics 1980


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