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Q&A
05:40 PM | 06-01-2020

Is there any remedy for Kidney without transplant, if patient is on dialysis?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

09:43 PM | 06-01-2020

Consulting a Naturopath directly will help you, till then it is recommended to be under the care of a nephrologist.

Thank you



11:27 AM | 07-01-2020

Dear health seeker Pioneer industry, 
At the outset let me assure you that each and every tissue has self-healing and self-preservation power, only we have to tap that to our advantage by following the eternal laws of nature which are immutable, inviolable and have stood the test of time for centuries and there is no change even now, You must take heart from this fact, on the flipside the modern medicinal system is ever-changing there are new drugs on the horizon every five years, There is no safe drug in the world every drug has a side and after effects, and a drag on the vitality. 
"One has to recover twice once from the disease and Secondly from the aftereffects of the drugs "........Dr Weir Mitchell.
It is assured that all disease symptoms can be reversed back to health provided one were to follow the eternal laws governing our organism and kidneys can again be restored to normalcy. 
  

Only one kidney was sufficient to sustain our body but the Supreme Being has bestowed us with two kidneys  If one kidney is damaged the other kidneys grows in size to tackle the work of other diseased kidneys. 

  1. Enemy no 1 for the kidneys are  heavy intake of protein  sourced/available from meat,  eggs, pulses, nuts, milk products, cheese, etc
  2. Enemy no 2 is the sluggish skin which doesn't throw out the toxins through sweat/perspiration 
  3. Constipation  is  also a contributing factor, to remedy  apply an enema of 300 ml cold water daily for a month or so, under expert supervision
  4. To  strengthen lung power so very necessary to expel out the toxins so as to lessen the burden of kidneys and to  help kidneys to recuperate early 
  5. Intake of salt is also inimical  cut down on salt intake 
  6. Avoid all enervating foods the likes of processed, refined foods, tea,  coffee,  non-vegetarian, eggs, milk products, sugar  etc 
  7. For lessening the workload of kidneys  skin has to work overtime  for that basking in the early morning sun for 30 to 40 minutes is must and again in the setting sun. Few hydrotherapeutic application hot foot bath, whole body sun packs are a must to expel out toxins from the body by way of sweat and lessening the workload of kidney who are under duress, to be availed under expert guidance. 
  8. The  diet of the kidney patient would be  only  boiled vegetables and fruits with few dates, raisins and very small amounts of flaked rice (poha पोहा)

   With this regime, the  kidneys will be  healthy again to discharge their  duty  faithfully 


   V.S.Pawar    Member Indian institute of natural therapeutics....1980



08:27 PM | 06-01-2020

हेलो,

कारण - किडनी के रोग निष्कासन में अवरोध के कारण उत्पन्न होता है।

शरीर में अम्लीयता के कारण टॉक्सिन भरी हुई है पहले उसको साफ़ करना ज़रूरी है।

क्रॉनिक रोग पर ध्यान ना दिया जाए तो वह मारक रोग में बदल जाता है। इसके निदान हेतु प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख और परामर्श से स्वास्थ लाभ लें। प्राकृतिक चिकित्सा कोई घरेलू औषधि नहीं है यह प्राकृतिक उपायों के माध्यम से स्वास्थ संबंधी समस्या दूर करने  की पद्धति है।

समाधान - सफ़ेद पेठे (ashguard) का जूस छान कर पीएँ। घूँट भर कर 40count करें फिर अंदर लें। ये सुबह ख़ाली पेट लें। हफ़्ते में दो दिन केवल जूस पर रहें।

सूर्य की रोशनी में बैठे और बैठते समय सर को और चेहरे को सूती के कपड़े से ढक कर रखें पूरे शरीर पर कपड़े हटाकर धूप लगने दे। जितनी देर तक कि आराम से सह सके उतनी देर तक ही यह काम करें।

लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।

खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें।

जीवन शैली-  1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से

घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक  पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। 

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ  सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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