How to cure anxiety associated IBS?
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreHello User,
We can definitely understand any problem related to the body is capable of giving you anxiety because it is not about getting a part hampered but our whole body is at stake. If we follow the main pathology behind IBS, it is hypersensitivity. This hypersensitivity occurs when our immunity becomes vulnerable to the disease, this hypersensitivity will not include our body but also our mind. The main reason behind IBS has been identified as our long term chronic eating habits and some part of it is also contributed by genetic intervention. In IBS we have to make sure that we avoid food which is packaged, has gluten and milk products as they have been found to be one of the causative factors. Even our posture which does not support a healthy way for food to reach our stomach also becomes a cause.
With the following advice, we are sure you will be able to treat everything in a holistic way.
Eat:
Start the day with two-three glasses of warm water, this will help in flushing out the toxins and improve the state of metabolism by increasing it. The next thing is the inclusion of vegetable juice in your breakfast as this will help in giving the right amount of energy for the day. Keep at least two hours gap between your food and your sleep timing at night. You can also choose to have vegetable juice in your breakfast, it is an easier way to absorb all the nutrients.
- Massage 3-4 drops of peppermint oil on the abdomen by mixing it with one tablespoon of coconut oil, massage in a circular motion for 10 minutes, this will help in dealing with colics.
- In the morning, empty stomach, consume one piece of dates, this helps in keeping the digestive tract clean and healthy for the whole day.
- The next thing is, two hours after a meal, consume a spoon of flaxseed oil, this will be helpful in giving fibre.
- After meals consume fennel seed one teaspoon this will aid in digestion.
Exercise:
- Taking a brisk walk in the early morning sun rays helps in treating all the problems, as the sun helps in treating the mood and freshen us for the whole day, it stimulates our system and strengthens our immunity. Early morning walk is recommendable for our mental health too.
- Practising Vajrasana after the meal will help a lot in dealing with any issue of the digestive tract or inflammation.
- Practice Chakrasana, Pawan Mukht asana, and Balasna will help in digestion issues. proceeded by Suryanamaskar.
- Suryanamaskar will help in treating the health issues and will help in dealing with all problems, 12 sets a day is recommendable. If you are a beginner start with 6 and increase it.
Meditation:
Stop using the gadget on hour before sleep, you can use a fragrant diffuser where you can use essential oils and then with the smell itself you will start feeling calm. Rosemary and lavender oil will be helpful.
Take 10 long deep breaths, and allow your body to relax, any thought which comes, let it go do not resist. Say the affirmation, "I am healthy and happy" with each breath. This will help in curbing all your issues even in the long run. Communicating with people who are suffering from a similar type of problem is helpful to understand their symptoms and dealing with anxiety.
Sleep:
The sleep is a very important part of treating any mental symptom, a sleep cycle of 90 minutes should be completed in order to get a sound body. This sleep cycle should be repeated 5 times. This makes 7-8 hours of healthy sleep. This will make your body and mind strong and refreshing.
Hopefully, these suggestions will help.
Thank you.
हेलो,
कारण - शरीर स्वस्थ ना हो तो मानसिक और शारीरिक दोनों बीमारी उत्पन्न होती है। पाचन तंत्र का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) एक आम विकार है, जो बड़ी आंत (कोलन) को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर ऐंठन, पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज का कारण बनता है। आईबीएस एक दीर्घकालिक अवस्था है, जिसकी आपको लम्बे समय तक देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है।यह आंतों में इन्फ्लेमेशन के कारण होता है। खाना जो देर तक पचता नहीं है और शरीर के अंदर काफी लंबे समय तक सड़ रहा होता है उसके वजह से यह संक्रमण होता है। विषाणु को पनपने के लिए शरीर में अम्लीयता होना जरूरी होता है। लंबे समय तक खराब हाजमा और कब्ज के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है प्राकृतिक चिकित्सक के देखरेख में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को अपनाकर आप पूर्ण रूप से स्वास्थ्य पा सकते हैं।
समाधान- 1. जितना हो सके कच्चे हरे पत्तों का जूस छानकर पिए। जैसे पालक, दूब घास, बेलपत्र, धनिया पत्ता, तुलसी का पत्ता इन्हें अलग-अलग टाइम पर पीसकर 200ml पानी मिलाकर छानकर पीएं खाली पेट इन पत्तों का जूस बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है। यह रक्त को शुद्ध करेगा। आंतों के संक्रमण को दूर करेगा
2. 20 मिनट सूर्य की रोशनी में अपने शरीर को रखें सिर और आंख को किसी सूती कपड़े से ढक करके 5 मिनट बैक 5 मिनट फ्रंट 5 मिनट लेफ्ट 5 मिनट राइट साइड धूप लगाए। धूप लेट कर लगाने से ज्यादा फायदा करता है।
ऐसा करने से शरीर में पल रहे विषाणु मूर्छित हो जाएंगे।
3. पेट के ऊपर एक गिला कपड़ा लपेट कर रखें 20 मिनट तक उसको लपेटे रखें इससे आंत को ठंडक पहुंचेगी और विषाक्त कणों को निष्कासन में मदद मिलेगा।
4. हर 3 घंटे में लंबा गहरा श्वास अंदर लें उसको थोड़ी देर रोकें और फिर सांस को खाली करें। खाली करने के बाद फिर से रुके और फिर लंबा गहरा सांस ले। यह एक चक्र है ऐसा दिन में 10 चक्र करें केवल एक शर्त का पालन करें जब आप लंबा गहरा सांस ले रहे हैं तो अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें ऐसा करने से आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का बढ़ेगी और ऑक्सीजन का संचार सुचारू रूप से हो पाएगा।
जीवन शैली - 1. आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।
तिल के तेल रीढ़ की हड्डी पर घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ। रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6. एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं। हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
7. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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