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Q&A
03:50 PM | 14-04-2020

Please tell me how to stop the dribbling of urine and also the foul smell of urine naturally?

The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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2 Answers

05:17 PM | 14-04-2020

Hello user,

Sensitive bladder and foul smell of urine both have a similar cause which is a disease in our kidney region. Due to less healthy fluid intake and indulging in unhealthy beverages, our body gets inflammation. Also in the background, when we chronically have a high-fat diet and sedentary lifestyle, it ultimately causes inflammation leading to bladder problems and also weakening of bladder muscles.

To treat this problem we should start with a light diet. In this case, only a multidimensional cure can help you. The main thing here is, it should be about everything, food, meditation, sleep and exercise which amalgamate for good health.

Eat:

The first thing in the morning is to start your day with something light in nature. Easy to digest is what your breakfast should be because they are the kind of nutrients that get absorbed easily. Even the early morning ritual should include consumption of two-three glasses of warm water will help in flushing out all the toxins.

The ideal diet would be to depend on fruits and raw vegetable intake for at least one month and refrain from something oil-based.

  • One inch of ginger boiled in two cups of water with one tablespoon lemon, boil them for 5-10 minutes. Consume this mixture two hours after the noon meal to help in treating inflammation at your bladder as well as the foul smell.
  • Cumin water helps in treating sensitive bladder and helps in achieving strong bladder muscles.
  • Cinnamon water is healthy and helps in keeping the kidney smoothly functioning.

​​Exercise:

  • Pranayam helps in detoxifying the body. Practicing it early morning in an area that has good sunlight will help in improving blood circulation.
  • Suryanamaskar, daily 12 sets will help in increasing the blood circulation of your body.
  • Halasana, Bhujangasana, Dhanurasna, practice it daily before the session of suryanamaskar, this will aid in achieving a healthy bladder. Please do under an expert guidance
  • Kegel exercises helps in treating the dribbling by strengthening pelvic floor muscles.

Meditation:

In any kind of disease, stress comes complementary to it. But with our assurance and positive attitude, we can treat anything. The best thing to start with is breathing mindfully before sleeping with the help of music to stay positive. In a room take a bowl of water and add two-three drops of orange or lavender essential oil. This will help in soothing you and the aroma will relax you and keep you away from any kind of disease.

Use a 15-minute relaxation technique before sleep by hearing a piece of soothing music and deep breathing will help in relaxing your mind.

A positive attitude will help you to deal with everything in life.

Sleep:

Sleeping for at least 7-8 hours is really helpful in dealing with any problem. Sleep is our body's natural response and helps the body to heal. Sleep relaxes the muscles and strengthens our body. During sleep, our body goes into a repair mechanism where it heals itself.

Hopefully, these suggestions will help you.

Thank you.



07:23 PM | 14-04-2020

हेलो, 
कारण - पानी जो कि फल और सब्जी में 90% होता है वह फल और सब्जी के जरिए जो पानी शरीर में जाता है उसको पचाने में शरीर को मेहनत नहीं करना पड़ता है और उसका वेस्टेज बहुत कम होता है। यानी उससे मूत्र ज्यादा नहीं बनता है लेकिन शरीर को पानी की जरूरत पूरी हो जाती है। इसकी जगह पर अगर पानी पीते हैं तो पानी का वेस्टेज 90% होता है। शरीर को उसका पोषक तत्व नहीं मिल पाता है। 

पानी की जरूरत हमारे गले को होती है गले की जरूरत को पूरा करने के लिए मुंह में पानी का घूंट भरें।  40 गिनती गिनने तक मुंह में रखे। उसके बाद पानी को गट करें। ताकि उसमें सलाइवा मिक्स हो सके। आपके शरीर के लिए फायदेमंद है लेकिन तीन से चार या 5 लीटर पानी शरीर के लिए फायदेमंद नहीं है उसे शरीर को कोई भी फायदा नहीं पहुंचता है बल्कि नुकसान होता है।  यूरिनरी ब्लाडर पर इसका खराब असर पड़ता है।

समाधान - 1.पानी का प्रयोग हाइड्रोथेरेपी के द्वारा किया जाता जा सकता है जो कि शरीर को सबसे अधिक फायदा पहुंचाता है। एक टब में पानी भरे और उसमें 500ml नीम की पत्तियों का  रस डालें। उसमें 20 मिनट के लिए बैठे और संकुचन क्रिया करें।

2 . फल सब्जी का सलाद कच्ची सब्जी का जूस यह पानी को है कोहेसिव वाटर कहा जाता है। अमृत पेय क्योंकि यह शरीर पर किसी भी तरीके का प्रेशर दिए बिना शरीर की जरूरतों को पूरा करता है।

 हरे पत्तों का जूस आपको हर दृष्टिकोण से फायदा देगा। हरे पत्तों में आप पालक के पत्ते धनिया के पत्ते पुदीने के पत्ते तुलसी के पत्ते दूब घास बेलपत्र या  सफेद पेठे का जूस ले सकते हैं। दोपहर में खाना खाने से घंटा पहले इसका सेवन डेढ़ सौ से 200 ml तक करें डिनर के 1 घंटे पहले इसका सेवन 200ml तक करें।

3. खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें। 

जीवन शैली - 1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।

कपूर मिश्रित नारियल तेल से पेट पर घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash  guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक  पत्ते धो कर पीस कर 100 ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ  सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

8.उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200 ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator}

 


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