Hi, I have a quick query. I have observed past one year, ten days prior to my periods there is a lot of pain in my breast and some yellow fluid comes out when I press n try to release the pain (I'm 37 now) The day my periods starts the pain n fluid goes away, Please help!
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreNamaskar!
Thanks for sharing your concern with us! Women health-related problems are often due to hormonal changes/imbalance. Let us look at it from Nature perspective.
Please know that as per Nature Cure, toxic overload is the root cause of all diseases. Toxins are a byproduct of metabolism and also get added due to wrong lifestyle choices. Nature has equipped us with the measures of eliminating the toxins on a regular basis - through breathing, stool, urine, sweat, mucus depositions in the nose, eyes, and genitals, etc. However, when there is insufficient or faulty elimination, there is a toxic overload in the body. Toxic overload often leads to hormonal imbalance. As per Nature Cure, one can reverse this state of imbalance by getting back in sync with the natural laws of living.
You can explore our Natural Health Coaching Program that helps you in making the transition, step by step. Our Natural Health Coach will look into your daily routine in a comprehensive way and suggest an action plan. She/he will guide you on diet, sleep, exercise, stress to correct your existing routine & make it in line with Natural Laws.
We encourage you to take charge of your health. Be inspired by Women’s Health stories in our Journeys section - click here.
We wish you all the best for your good health!
Regds
Team Wellcure
हेलो,
कारण - प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण ब्रेस्ट में दर्द होता है। शरीर में खराब प्रोटीनों के बनने, शरीर के भीतर के पर्यावरण में बदलाव से हो सकता है। निपल से आनेवाला द्रव हल्के पीले रंग का, हल्के हरे रंग का, दूध की तरह सफेद या पानी की तरह एकदम ट्रांसपैरंट भी हो सकता है। Breast infection के तरफ इशारा करते हैं। मासिक धर्म शुरू होने पर शरीर का सफाई शुरू हो जाता है। जिसके कारण ब्रेस्ट डिस्चार्ज और ब्रेस्ट के दर्द में कमी आती है।
किसी भी हिस्से में दर्द का मुख्य कारक होता है, शरीर में बढ़ा हुआ अम्ल शरीर का हाजमा खराब होने पर हमारे शरीर में अम्ल की अधिकता हो जाती है शरीर में अम्ल की अधिकता होने पर रक्त संचार में कमी आती है और यह दर्द का कारक बनता है।
यह लंबे समय तक खराब हाजमा होनेे के कारण होता है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में इसका समाधान है।
समाधान - 1. चार भिंडी को लंबा काटकर एक गिलास पानी में डाल दें और सुबह खाली पेट नेचुरल मोशन होने से पहले उसको पी लें। पीते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि पानी को मुंह में रख रख केपीए।
2. सूर्य की रोशनी में 20 मिनट का स्नान सूर्य की रोशनी से करें 5 मिनट सामने 5 मिनट पीछे 5 मिनट दाएं 5 मिनट बाएं भाग में धूप लगाएं। धूप लेट कर लेना चाहिए धूप की रोशनी लेते वक्त सर और आपको किसी सूती कपड़े से ढक ले। सूर्य नारी मंद होने पर इन्फेक्शन अधिक होता है अतः आप जब भी सोए अपना दायां भाग ऊपर करके सोए।
3. प्रतिदिन अपने पेट पर खाने से 1 घंटे पहले या खाना खाने के 2 घंटे बाद गीले मोटे तौलिए को लपेटे एक तौलिया गिला करके उसको निचोड़ लें और हूं उस तौलिए को 20 मिनट तक अपने पेट पर लपेटकर रखें ऐसा करने से आपका पाचन तंत्र दुरुस्त होगा।
4. हर 3 घंटे में लंबा गहरा श्वास अंदर लें उसको थोड़ी देर रोकें और फिर सांस को खाली करें। खाली करने के बाद फिर से रुके और फिर लंबा गहरा सांस ले। यह एक चक्र है ऐसा दिन में 10 चक्र करें केवल एक शर्त का पालन करें जब आप लंबा गहरा सांस ले रहे हैं तो अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें ऐसा करने से आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का बढ़ेगी और ऑक्सीजन का संचार सुचारू रूप से हो पाएगा।
5.सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आ कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें। दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ। रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6. एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं। हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
7. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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