I am suffering from lower back pain and muscle stiffness from last 14 years. Can't sit without back support due to muscle weakness. I have consulted various good doctors, have tried allopathic, homeopathic and ayurvedic medicine, but to no avail.
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreHi. You may find these natural healing stories of real life people who cured all kinds of pains naturally -
https://www.wellcure.com/health-journey/tags/aches-pains.
Also read this blog to interpret your pain from nature's point of view - Do-you-understand-pain?
My story was similar to yours. But I did the following changes over the years
No meat and dairy
Only fruits fir breakfast
Grains only once or twice a day
No tea, coffee and sugar
Sleeping on time
Sunlight for 30 minutes everyday
Be patient and consistent. With these changes you will see improvement.
I would suggest that you take guidance from wellcure on how to do this step by step
नमस्ते ,
भोजन में अधिकतर अम्लीय पदार्थ जैसेे- चाय, चावल ,चीनी, अचार, मिठाईयां ,नमक -नमकीन, ठंडे पेय पदार्थ, नशीली वस्तुएं ,डिब्बाबंद वस्तुएं ,क्रोध, ईर्ष्या ,चिंता इत्यादि की वजह से भोजन का पाचन ,अवशोषण व निष्कासन सही तरीके से नहीं हो पाता जिससे अशुद्धियां शरीर के अंदर ही सड़ने लगती हैं, रक्त दूषित हो जाता है, रक्त वाहिनीयां कठोर होने लगती हैं व शरीर के अंदर दर्द प्रारंभ हो जाता है।
- नींद- प्रतिदिन प्रातः रात्रि में 7 से 8 घंटे सुबह से शरीर में स्थित अशुद्धियां बाहर निकलती है व कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत होती है।
प्रतिदिन प्रातः गुनगुने पानी में नींबू और शहद का सेवन करें इससे शरीर में स्थित अशुद्धियां बाहर निकलती हैं।
- प्रतिदिन सूर्योदय के बाद 45 मिनट धूप में व्यतीत करें -इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी व ऊर्जा प्राप्त होती है।
- भोजन में मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें -यह हल्के व सुपाच्य होते हैं व शरीर को रोग मुक्त रखने में सहायक हैं।
- उपवास- सप्ताह में 1 दिन पाचन संस्थान में स्थित अशुद्धियां बाहर निकलती हैं व उनकी कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
- प्रतिदिन 3 से 4 लीटर पानी पिए इससे शरीर से अशुद्धियां बाहर निकलती हैं व आवश्यक जल की आपूर्ति होती रहती है।
- रात्रि में आलू के टुकड़े करके एक गिलास जल में डूबा दे प्रातः उस पानी को खाली पेट सेवन करें -यूरिक एसिड कम करता है व दर्द में आराम मिलता है ।
- पोटली की सिकाई-एक सूती कपड़ा ले लीजिए उसमें बालू ,सेंधा नमक व सरसों मिलाकर बांधकर पोटली बना लीजिए ,तवे पर सरसों का तेल डाल कर गरम कीजिए गरमा गरम पोटली से दर्द वाले जगहों पर सिकाई कीजिए ।
डॉ. राजेश कुमार
योग व नेचुरोपैथी फिजीशियन
नमस्ते
कारण - ये शरीर में बढ़े हुए अम्ल की अधिकता से जो प्रदाह (inflammation) उत्पन्न हुआ है उससे हो रहा है।
कार्टिलेज एक गाढ़े, साफ पदार्थ से भरा हुआ है ताकि जोड़ों को चारों ओर घूमते समय लचीलापन और गद्दीनुमा महसूस हो सकें। कार्टिलेज की पहली परत हट जाती है। अंदर के पदार्थ तंत्रिका को संकुचित कर देते हैं।
समाधान - खीरा + नीम के पत्ते का पेस्ट दर्द वाले हिस्से पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। सुर्य की रोशनी उसी जगह पर लगाएँ।
दिन में दो बार तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें। सलभआसन, विपरीतसलभआसन, सर्वांगआसन, मकरआसन, सेतुबँधआसन करें।
जीवन शैली - जीवन शैली - शरीर पाँच तत्व से बना हुआ है प्रकृति की ही तरह।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है। वो हमारे शरीर के काम आता है।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।
3 अग्नि तत्व- सूर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करें। खीरा + नीम के पत्ते का पेस्ट दर्द वाले हिस्से पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें। सुर्य की रोशनी उसी जगह पर लगाएँ।
दिन में दो बार तिल के तेल से घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
5 पृथ्वी- सब्ज़ी, सलाद, फल, मेवे, आपका मुख्य आहार होगा। आप सुबह सफ़ेद पेठे 20ग्राम पीस कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
दोपहर में 12 बजे फिर से इसी जूस को लें। इसके एक घंटे बाद खाना खाएँ।शाम को 5 बजे सफ़ेद पेठे (ashguard) 20 ग्राम पीस कर 100 ml पानी मिला। 2घंटे तक कुछ ना लें। रात के सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें। ताज़ा नारियल पीस कर मिलाएँ। कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। रात का खाना 8 बजे खाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। इसे बिना नमक के खाएँ। नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की मात्रा dopahar के खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid) की कमी हो जाती है। एक नियम हमेशा याद रखें ठोस (solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल (liquid) को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें। ठोस (solid) भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ (liquid) ले सकते हैं।
ऐसा करने से हाज़मा कभी ख़राब नहीं होगा।
जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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