I am having burning and pain in both the feet, since a long time. The problem is less when I am moving and more when I lay still. The MRI of lumbar region is normal and uric acid is 7. 2. Whenever I do any hard work or start any new exercise or play cricket the problem worsens. Please help!
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreHello Rishi,
The most common cause of burning in feet is caused by the fact that you are suffering from inflammation of nerve ending or nutritional deficiency like vitamin B 12. In both cases, there is malabsorption which is taking place in the body. When we complex type of food it becomes extremely difficult to digest.
Our physiology of stomach is very simple and only the light type of food can help in absorbing all the nutrients in the right way. Hence, it is time to make some necessary changes in the diet and overall lifestyle.
Eat:
The first thing in the morning is to start your day with something light in nature. Easy to digest is what your breakfast should be because they are the kind of nutrients that get absorbed easily. Even the early morning ritual should include consumption of two-three glasses of warm water will help in flushing out all the toxins.
The ideal diet would be to depend on fruits and raw vegetable intake for at least one month and refrain from something oil-based.
- One inch of ginger boiled in two cups of water with one tablespoon lemon and half teaspoon of turmeric, boil them for 5-10 minutes. Consume this mixture two hours after the noon meal will help in treating inflammation.
- Take half a cup of rose water and put in half bucket full of cold water. Soak your feet for 15-20 minutes. Rosewater is anti-bacterial and helps in fighting infection.
- Massage your feet with coconut oil which is anti-microbial and helps in improving blood circulation and reduces burning pain.
- Banana is a great source of vitamin B12 you can get correct nutrition from it easily. Make it part of your breakfast routine.
Exercise:
- Pranayam helps in detoxifying the body. Practicing it early morning in an area that has good sunlight will help in improving blood circulation.
- Suryanamaskar, daily 12 sets will help in increasing the blood circulation of your body.
Meditation:
In any kind of disease, stress comes complementary to it. But with our assurance and positive attitude, we can treat anything. The best thing to start with is breathing mindfully before sleeping with the help of music to stay positive. In a room take a bowl of water and add two-three drops of orange or lavender essential oil. This will help in soothing you and the aroma will relax you and keep you away from any kind of disease.
Use a 15-minute relaxation technique before sleep by hearing a piece of soothing music and deep breathing will help in relaxing your mind.
A positive attitude will help you to deal with everything in life.
Sleep:
Sleeping for at least 7-8 hours is really helpful in dealing with any problem. Sleep is our body's natural response and helps the body to heal. Sleep relaxes the muscles and strengthens our body. During sleep, our body goes into a repair mechanism where it heals itself.
Hopefully, these suggestions will help you.
Thank you.
हेलो,
कारण - आंतों में inflammtion के कारण पैर के तलवे पर जलन और दर्द हो रहा है। आंत के स्वास्थ लाभ में पूरे शरीर का स्वास्थ निर्भर करता है। आंत में inflammation से शरीर में अम्ल की अधिकता होती है।
शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द का मुख्य कारक होता है अम्ल की अधिकता। शरीर में अम्ल की अधिकता होने पर रक्त संचार में कमी आती है और यह दर्द का कारक बनता है
समाधान- 1. लंबा गहरा सांस अंदर ले रुके थोड़ी देर 10 गिनने तक फिर सांस को खाली करें खाली करने के बाद 10 गिनने तक रुके फिर लंबा गहरा सांस अंदर खींचें यह प्रक्रिया एक चक्र हुआ ऐसा 10 चक्र करें एक बार में और ऐसा दिन में तीन से चार बार करें बस इस बात का ध्यान रखें कि जब आप यह प्रक्रिया कर रहे हो तो आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
2. गहरे हरे रंग के पत्तों का जूस खाली पेट ले उसके 2 घंटे बाद फल का सेवन करें और उसके तीन से 3:30 घंटे बाद फिर से गाजर या चुकंदर का जूस लें ऐसा करने से शरीर पूरी तरीके से साफ हो सकेगा।
3. सूर्य की रोशनी जहां है वहां अंधेरा नहीं है उसी तरीके से जहां स्वास्थ्य है वहां रोग नहीं रह सकता सूर्य की रोशनी का हमारे आंतरिक शरीर पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।
सूर्य की रोशनी में 5 मिनट सीधा 5 मिनट उल्टा 5 मिनट या 5 मिनट बाया लेटे सर और आपको किसी सूती कपड़े से ढक कर यह 20 से 25 मिनट सूर्य की रोशनी लेने से शरीर अंदर से रोग मुक्त होगा।
4. मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।
जीवन शैली - 1. आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।
फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।
2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।
3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।
4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।
तिल के तेल से गले पर घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100 ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
7. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200 ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
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