I have IBS diarrhea. Tried every medicine from ayurvedic , homeopathic and allopethic. But no relief. My all test are normal. Need help.
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreHello Dhruv,
Irritable bowel syndrome is a disorder of the large intestine. It occurs due to long term consumption of high-fat diet and spicy foods and following an incorrect lifestyle.
Its symptoms are uncomfortable and potentially embarrassing. Its symptoms include cramping, bloating, diarrhoea, etc. There are several lifestyle changes and diet changes that you may follow to get some relief.
Diet
- Have fibre rich foods such as fruits, vegetables and beans as it will help to ease some symptoms like constipation.
- Avoid dairy products as they are very difficult to digest for our digestive system.
- Avoid alcohol, chocolate, coffee and other caffeinated drinks, carbonated drinks.
- Drink sufficient water during the day to be hydrated and eliminate the toxins out of the body.
- Drink freshly prepared homemade fruit juices with fibres.
Yoga
Practising yoga asanas and pranayam regularly helps to improve the blood circulation and metabolism of the body.
- Start with sukshma vyayama like rolling your ankles, wrists and neck.
- practice suryanamaskar daily.
- Do kapalbhati pranayam and anulom-vilom pranayam regularly.
- Take early morning sunrays daily.
Sleep
Sleep is extremely important as it reduces the stress levels from the body and mind.
So, take proper sleep of at least 7-8hours daily. Sleep early at night and also wake up early in the morning.
Thank you
हेलो,
कारण - इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) एक आम विकार है, जो बड़ी आंत (कोलन) को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर ऐंठन, पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त का कारण बनता है। आईबीएस एक दीर्घकालिक अवस्था है, जिसकी आपको लम्बे समय तक देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। यह आंतों में इन्फ्लेमेशन के कारण होता है। खाना जो देर तक पचता नहीं है और शरीर के अंदर काफी लंबे समय तक सड़ रहा होता है उसके वजह से यह संक्रमण होता है। विषाणु को पनपने के लिए शरीर में अम्लीयता होना जरूरी होता है। लंबे समय तक खराब हाजमा और कब्ज के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है प्राकृतिक चिकित्सक के देखरेख में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को अपनाकर आप पूर्ण रूप से स्वास्थ्य पा सकते हैं।
समाधान- 1. चार भिंडी को लंबा काटकर एक गिलास पानी में डाल दें और सुबह खाली पेट नेचुरल मोशन होने से पहले उसको पी लें। पीते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि पानी को मुंह में रख रख के पिए। जितना हो सके कच्चे हरे पत्तों का जूस छानकर पिए। जैसे पालक, दूब घास, बेलपत्र, धनिया पत्ता, तुलसी का पत्ता इन्हें अलग-अलग टाइम पर पीसकर 200 ml पानी मिलाकर छानकर पीएं खाली पेट इन पत्तों का जूस बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है। यह रक्त को शुद्ध करेगा। आंतों के संक्रमण को दूर करेगा
लिक्विड सॉलिड लिक्विड फास्ट इस rythm को लेकर चलें।
21 days तक ऐसा करके फिर प्राकृतिक चिकित्सा के आहार शैली को अपनाए।
2. 20 मिनट सूर्य की रोशनी में अपने शरीर को रखें सिर और आंख को किसी सूती कपड़े से ढक करके 5 मिनट बैक 5 मिनट फ्रंट 5 मिनट लेफ्ट 5 मिनट राइट साइड धूप लगाए। धूप लेट कर लगाने से ज्यादा फायदा करता है।
ऐसा करने से शरीर में पल रहे विषाणु मूर्छित हो जाएंगे।
3. पेट के ऊपर एक गिला कपड़ा लपेट कर रखें 20 मिनट तक उसको लपेटे रखें इससे आंत को ठंडक पहुंचेगी और विषाक्त कणों को निष्कासन में मदद मिलेगा। अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए।
स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है।
तिल के तेल रीढ़ की हड्डी पर घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।
4. हर 3 घंटे में लंबा गहरा श्वास अंदर लें उसको थोड़ी देर रोकें और फिर सांस को खाली करें। खाली करने के बाद फिर से रुके और फिर लंबा गहरा सांस ले। यह एक चक्र है ऐसा दिन में 10 चक्र करें केवल एक शर्त का पालन करें जब आप लंबा गहरा सांस ले रहे हैं तो अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें ऐसा करने से आपके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का बढ़ेगी और ऑक्सीजन का संचार सुचारू रूप से हो पाएगा।
5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ash guard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक पत्ते धो कर पीस कर 100 ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है।
फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल सूखे फल नाश्ते में लें।
दोपहर के खाने में सलाद नट्स और अंकुरित अनाज के साथ सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ash guard) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ।
लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।
6. एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
7. उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200 ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
Dear Dhruv,
Thanks for sharing your query with us! IBS or irritable bowel syndrome is a chronic digestive problem. We do appreciate that it is a troublesome condition and does start affecting one's day-to-day functioning. This issue has often been discussed on our platform and we also have some resources that we would like to share with you. Before that, please consider this - as per nature cure, the main root cause of all kinds of disease or discomfort is TOXAEMIA - accumulation of un-eliminated toxins within the body. While some toxins are an output of metabolism, others are added due to an unnatural lifestyle – wrong food habits, lack of rest, stress etc. If not eliminated, the toxins get built up and cause diseases. While the body has an innate capacity to get rid of the toxins, it needs to be supported by way of providing it with the right inputs.
Adopting a natural lifestyle will help you reclaim your skin health. We suggest you take a personal consultation with our Natural Health Coach who can understand your background better & suggest the way forward. You can explore our Natural Health Coaching Program for the same. The Natural Health Coach will guide you on diet, sleep, exercise, stress, etc to correct your existing routine & make it in line with Natural Laws. Let us know if you are interested.
In the meanwhile, you may want to explore the following resources:
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Blog
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Real-life natural healing stories of people who cured digestive issues just by following Natural Laws
Wishing you good health!
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Smitha Hemadri
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