How to come out from worse side effects of Allopathy and Antibiotic Medicines? Side effects like Acidity , Indigestion, constipation, Loss of Appetite and many more.
The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.
Read moreHello,
In my experience of dealing with patients from helping them transition from allopathy to natural cure, I always start off with tapering of the medicine while parallelly giving them a natural diet to follow, As the body takes time to respond and therefore transitioning can be challenging if it is not done in a proper way.
Secondly, now that if you have stopped the allopathy and antibiotic medicines, you can start of with mindfulness technique so that your mind can respond positively to your decision of stopping them. Secondly, having a light diet at first like plant based yogurt and fruit, or soups always helps in elevating your mood and keeping your system from the side effects such as indigestion, constipation, loss of appetite etc.
Give your body the love it needs, that's why I recommended mindfulness as it allows us to tap into our body system and speak to it positively. I have managed to heal many patients this way, and I really thank God for that.
Hope this answer helps you and gives you a way of overcoming the side effects.
नमस्ते
अंग्रेज़ी दवाइयों के प्रभाव को कम करें।
आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए।
पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।
1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।
2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I
खुली हवा में बैठें या टहलें।
3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।
4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।
नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।
मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।
सर पर सूती कपड़ा बाँध कर उसके ऊपर खीरा और मेहंदी या करी पत्ते का पेस्ट लगाएँ,नाभि पर खीरा का पेस्ट लगाएँ।पैरों को 20 मिनट के लिए सादे पानी से भरे किसी बाल्टी या टब में डूबो कर रखें।
5. पृथ्वी - कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। अगले सुबह ख़ाली पेट इनमे से कोई भी हरा जूस लें।पेठे (ashguard ) का जूस लें और नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर 100ml पानी में मिला कर छान कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ।
ये जूस सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले लें। नाश्ते में फल लें। दोपहर के खाने से एक घंटा पहले हरा जूस लें। खाने में सलाद नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की पके हुए खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid) की कमी हो जाती।
सलाद दोपहर 1बजे बिना नमक के खाएँ तो अच्छा होगा क्योंकि नमक सलाद के गुणों को कम कर देता है। सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें।
रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। रात 8 बजे के बाद कुछ ना खाएँ, 12 घंटे का (gap) अंतराल रखें। 8बजे रात से 8 बजे सुबह तक कुछ नहीं खाना है।
एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ ले सकते हैं।
जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।
तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।
हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।
धन्यवाद।
रूबी,
प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)
Hello !
May I know for what problem are you consuming medicines ?
नमस्ते,
एंटीबायोटिक दवाएं अम्लीय होती हैं जो आंतों के फ्लोरा को नष्ट या चपटा कर देते हैं जिससे आंत में होने वाली क्रमा कुंचन गति (peristaltic movement) कम हो जाती है परिणाम स्वरूप मल वही सड़ने लगता है,जिससे गैस,अपच ,कब्ज इत्यादि जटिलताएं शुरू हो जाती है !
निम्नलिखित योग व नेचुरोपैथी सहायक सिद्ध होगा-
*प्राणायाम -कपालभाति ,अनुलोम विलोम कुंभक के साथ ,भस्त्रिका !
*क्रिया - जलनेति ,वमन धौति!
*गुनगुने पानी व नींबू /गेहूं के ज्वारे का एनिमा!
*प्रतिदिन 80% फलों और सब्जियों का सेवन!
*किडनी पैक-दो रबड़ के पानी भरने के बोतल ले लीजिए एक में गर्म पानी भरिए व दूसरे में ठंडा पानी भरे , गर्म रबड़ के थैले को पीछे की तरफ किडनी के ऊपर व ठंडे रबड़ के थैले को आगे पेट व यकृत पर रखें, एक लव इंच लंबा और 3 मीटर लंबा सूती कपड़ा लेकर उस पर चारों तरफ से लपेट दें और उसके ऊपर समान चौड़ाई लंबाई का एक ऊनी कपड़ा लपेट दें( अवधि 45 मिनट)
*सप्ताह में 1 दिन उपवास!
*सप्ताह में 1 दिन पूरे शरीर की मालिश व वाष्प स्नान!
डॉ.राजेश कुमार
योग व नेचुरोपैथी फिजीशियन
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